2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य : उपायुक्त

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : गुरुवार को समाहरणालय सभागार कक्ष में उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बैठक में उपायुक्त ने कहा कि अधिक से अधिक नि-क्षय मित्रों की सहभागिता से ही वर्ष 2025 तक भारत टीबी मुक्त हो पाएगा। इसके लिए सभी अधिकारियों को विशेष प्रयास करना होगा। इस अभियान के तहत नि-क्षय पोषण योजना के अंतर्गत रोगियों को पोषण के लिए मिलनेवाले प्रतिमाह 500 रुपये के अतिरिक्त कारपोरेट क्षेत्रों, निजी संस्थाओं, जन प्रतिनिधियों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए ये प्रखंड या टीबी यूनिट गोद लेंगे। गोद लेनेवाली संस्थाओं को ही नि-क्षय मित्र नाम दिया गया है। उपायुक्त ने कहा कि

इस वर्ष का थीम YES!! We can End TB 2023′ रखी गई है।

 

राष्ट्रीय यक्ष्मा रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2025 तक क्षय भारत को टीबी रोग मुक्त बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश कर रही है बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही है कि ऐसी सुविधायें दूर-दराज के इलाकों में भी उपलब्ध हों। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी के मरीजों का इलाज उपरोक्त संस्थाओं की ओर से या व्यक्तिगत रूप से जिला, प्रखंड, पंचायत और टोला स्तर पर व्यक्तिगत स्तर पर रोगियों के इलाज के दौरान गोद लेते हुए टीबी मुक्त होने तक या कम से कम छह माह तक इलाज व पोषाहार देकर उन्हें टीबी मुक्त बनाना है। वर्तमान में टीबी के मरीजों को सरकार की तरफ से सहायतार्थ पांच सौ रुपए पोषाहार के लिए मुहैया कराया जाता है। इसके अलावा उपायुक्त ने कहा कि उच्च प्राथमिकता के साथ इस अभियान को जन-आंदोलन बनाना सभी नागरिकों का कर्तव्य है। इस अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए लोगों में टीबी के बारे में जागरूकता पैदा करनी होगी। उन्हें बताना होगा कि इस बीमारी का रोकथाम संभव है। इसका इलाज प्रभावी और सुलभ है तथा सरकार इस बीमारी का रोकथाम और उपचार के लिए निःशुल्क सुविधा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य टीबी मुक्त भारत के लिए जन भागीदारी बढ़ाना है। साथ ही टीबी रोग पर नियंत्रण हेतु लोगों को सावधानियां बताते हुए जागरूक करने का प्रयास किया जाय, जिससे कि वो जागरूक होकर इस अभियान में हिस्सा लें।

कार्यक्रम में सिविल सर्जन ने बताया कि आने वाले दिनों में घर-घर जाकर टीबी के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा और टीबी के मरीजों को चिन्हित कर उनका इलाज कराया जाएगा। इसके तहत सभी सहिया बहनें डोर-टू-डोर जाकर कार्यक्रम की सफलता को लेकर लोगों को जागरूक करेंगी और टीबी जैसी गंभीर बिमारी को आने वाले वर्ष 2025 में भारत को टीबी मुक्त करने में अपना योगदान देंगी। इसके अलावा दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना सांस फूलना, सांस लेने में तकलीफ होना, शाम के दौरान बुखार का बढ़ जाना, सीने में तेज दर्द होना, अचानक से वजन का घटना, भूख में कमी आना, बलगम के साथ खून आना। टीवी के रोकथाम के लिए टीवी का मुफ्त जाँच, दवाएं, परामर्श सहायता, निक्षय पोषण योजना अंतगर्त सभी टीबी रोगी को उपचार अवधि में पोषण सहायता राशि 500 रुपये प्रतिमाह के दर से दिया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि TB Suspects tested/examined during 2022- 15844, TB Patitent diagnosed & treated during 2022 – 3115, TB Treatment Success Rate 2021- 91% है।

 

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान 2025 हेतु शपथ:

 

हम अपने जीवन काल में टीबी रोग समाप्त करने की शपथ लेते हैं।

 

हम यह भी शपथ लेते हैं कि टीबी से स्वयं को, अपने परिवार को, अपने सहकर्मियों को और अपने पड़ोसियों को बचाने का प्रयास करेंगें।

 

हम यह भी शपथ लेते हैं कि लोगों को खांसने एवं छिंकने के सही तरीके का पालन करने के लिए प्रेरित करेंगें।

 

हम यह भी शपथ लेते हैं कि अपने मुहल्ले, अपने गाँव अपने प्रखण्ड, अपने जिले, अपने राज्य और अपने देश को टीबी मुक्त बनायेंगें और इसके लिए हर संभव प्रयास करेंगें।

 

इसके अलावा टीबी उन्मूलन हेतु विशिष्ट योगदान देने वाले सात स्वास्थ्य अधिकारियों/कर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

 

जिनमें डॉ रियाज अहमद, सीनियर चिकित्सक), वरूण कुमार सिंह, (एसटीएलएस, गांडेय), फ्रांसिस मुर्मू, (एसटीएस, गांडेय), मो. नजरूल अंसारी, ( एलटी, बगोदर), रीता मुर्मू, (सहिया, गांडेय), मंजू देवी, ( सहिया, सदर प्रखंड) एवं मीरा देवी ( सहिया, सदर प्रखंड) शामिल हैं।

 

बैठक में आईएएस प्रशिक्षु, सिविल सर्जन, जिला आरसीएच पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीगण व अन्य कर्मी उपस्थित थे।

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