पूर्व सांसद सालखन मुर्मू पर पुरुलिया में जानलेवा हमला, पुलिस हस्तक्षेप से बचे
डीजे न्यूज, पुरुलिया : मोरजंगलपुर, थाना हुड़ा, जिला पुरुलिया, पश्चिम बंगाल में संविधान, कानून, मानव अधिकार लागू नहीं है। उस गांव को लगभग 1 साल 4 महीनों से कैद कर रखने वाले तत्वों के इशारे पर नशे में धुत हथियारबंद हिंसक तत्वों ने पुलिस की उपस्थिति में पूर्व सांसद एवं आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू एवं उनके साथियों पर जानलेवा हमला किया। सालखन मुर्मू ने कहा कि उनकी हत्या हो सकती थी। तत्पश्चात हुड़ा थाना में आदिवासी सेंगेल अभियान के सैकड़ों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में लिखित शिकायतवाद दर्ज किया गया। पुरुलिया जिले के एसपी, डीएसपी, थाना इंचार्ज आदि को विस्तृत जानकारी दी गई और अविलंब कानून सम्मत कार्यवाही करने का आग्रह भी किया गया।
यह है मामला
मोरजंगलपुर गांव, जहां एक सौ आदिवासी (संताल) परिवारों को माझी परगना महाल नाम के एक संगठन, जिसका नेतृत्व एक सरकारी स्कूल शिक्षक रतनलाल हंसदा करता है, ने उनको 23 अगस्त 2021 से सामूहिक बहिष्कार किया है।पंपलेट छाप कर पूरे जिले के संताल आदिवासी समाज को फतवा जारी किया है कि कोई भी उक्त गांव के लोगों के साथ मिलेगा या बातचीत करेगा तो उन्हें ₹50000 ( रुपया पचास हज़ार जुर्माना देना पड़ेगा।
मोरजंगलपुर के एक सौ आदिवासी (एसटी) परिवारों को न्याय और सुरक्षा मिले, इसके लिए सालखन मुर्मू ने नेशनल हुमन राइट्स कमिशन को एक शिकायत दर्ज किया था। एनएचआरसी ने अपनी रूटीन प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की है। मगर अब तक एक सौ आदिवासी परिवार सामाजिक बहिष्कार के दंड से आजाद नहीं हो सके हैं। अभी भी संविधान विरोधी अपराधी तत्वों के गिरफ्त में हैं, कैद में हैं। एनएचआरसी ने सालखन मुर्मू को 7 जनवरी तक हमारा मंतव्य भेजने का संदेश मेल किया था। सालखन मुर्मू इसी कारण पुलिस को सूचना के साथ मोरजंगलपुर गांव जाकर विक्टिम्स के साथ मिलकर जानकारी साझा कर रहे थे। मगर मोरजंगलपुर गांव के निकट चपाडीह गांव में हथियारबंद नशे में धुत पहले से घात लगा कर बैठे लोगों ने रास्ता रोका। फिर हमले की नियत से गाली गलौज करने लगे। गाड़ी को पीटने लगे। उनके हाथों में खतरनाक हथियार थे। जो उनकी जान भी ले सकते थे।
किसी प्रकार पुलिस उन्हें बचाकर हुड़ा थाना ला सकी। यह घटना बताती है कि मोरजंगलपुर ग्रामीणों के ऊपर जिले की पुलिस- प्रशासन से ज्यादा ताकत हिंसक हथियारबंद, गैरकानूनी तत्वों के पास है। सालखन गांव तक नहीं पहुंच सके। पश्चिम बंगाल सरकार का एनएचआरसी को प्रेषित एक्शन टेकन रिपोर्ट में अब तक कुछ भी सार्थक काम नहीं हुआ है। जिन अपराधी तत्वों ने 100 परिवारों को बंधक बनाकर रखा है उन पर विधिसम्मत कार्रवाई करने की बजाय पश्चिम बंगाल पुलिस प्रशासन ने केवल अपराधियों को बचाने का काम किया है। पुरुलिया जिला के सदर एसडीओ ने लिखित रिपोर्ट एनएचआरसी को सुपुर्द किया है कि यह मामला आदिवासी समाज का सामाजिक मामला है, आंतरिक मामला है अर्थात उनकी कस्टम ,रीति रिवाज, परंपरा आदि से जुड़ा हुआ है। पश्चिम बंगाल सरकार का यह दृष्टिकोण संविधान कानून विरोधी है। सरकार की इस मानसिकता और दृष्टिकोण से मोरजंगलपुर के 100 आदिवासी परिवारों को कभी भी न्याय और सुरक्षा नहीं मिल सकता है। क्योंकि मामला सामाजिक नहीं अपराधिक (क्रिमिनल) है। कोई भी कस्टम, रीति रिवाज, परंपरा आदि संविधान कानून से बड़ा नहीं हो सकता है। सबको राइट टू लाइफ विद डिग्निटी उपलब्ध है।
जनहित,संविधान हित में पुरुलिया जिला पुलिस प्रशासन से, पश्चिम बंगाल सरकार से, एनएचआरसी से, मीडिया से, सभी राजनीतिक दलों से, मानवाधिकार संगठनों से, सिविल सोसाइटी से आप लोग मोरजंगलपुर गांव जाकर एक सौ आदिवासी (संताल) परिवारों से मिलें। उनको कैद से आजाद करने में सहयोग करें। चूंकि अबतक तथाकथित नक्सलियों जैसी हरकत करने वाले संविधान कानून विरोधी हिंसक तत्व गांव में हाबी है। लगता है जिला पुलिस प्रशासन सत्ताधारी राजनीतिक दल के दबाव में लाचार है।
पश्चिम बंगाल के साथ अन्य प्रदेशों में भी माझी परगना महाल के नाम से कुछ अपराधिक तत्व संविधान, कानून को धत्ता बताते हुए जंगलराज चला रहे हैं। ग्रामीण नक्सली की तरह मनमानी कर रहे हैं। गांव गांव में लोगों को अन्याय, अत्याचार, शोषण का शिकार बना रहे हैं। संविधान, कानून और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए पुलिस प्रशासन को विधि सम्मत कार्रवाई करना सर्वत्र, सर्वथा अविलंब अनिवार्य है।