साइबर अपराधियों ने आरएसएस के स्वयंसेवक को इस तरह घेरकर गोलियों से किया था छलनी
साइबर अपराधियों ने आरएसएस के स्वयंसेवक को इस तरह घेरकर गोलियों से किया था छलनी
पूर्वी टुंडी निवासी व ग्राम रक्षा दल के सदस्य शंकर दे की हत्या की पूरी कहानी हत्यारोपितों की जुबानी
डीजे न्यूज, धनबाद : आरएसएस के स्वयंसेवक एवं पूर्वी टुंडी के दुम्मा निवासी शंकर प्रसाद दे को साइबर अपराधियों ने घेरकर पहले गाली दी थी और फिर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था।
शंकर प्रसाद दे को पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर मार डाला गया। शंकर को गोली मारने वाला उनके गांव दुम्मा का ही प्रदीप दां है। तब तक शंकर को गोली मारता रहा, जब तक उसके माउजर की सभी सातों गोलियां खत्म नहीं हो गई। हत्या के बाद प्रदीप दां अपने दो सहयोगी और हत्या में प्रयुक्त माउजर लेकर देवघर भाग गया। पुलिस मुखबिरी करने पर हत्यारों ने पूर्व में भी शंकर को धमकाया था। यह खुलासा इस हत्याकांड में जेल गए जामताड़ा के पंकज दास, हाथसरा निवासी रमेश सिंह ऊर्फ राजू, पूर्वी टुंडी निवासी गोविंद महतो एवं सोहनाद निवासी संतोष कुमार ने पुलिस के समक्ष दिए अपने स्वीकारोक्ति बयान में किया है।
पंकज दास समेत चारों ने अपने बयान में बताया कि इस हत्याकांड में चुरूरिया के
प्रदीप कुमार दां, संकेत चार, उत्तम कुमार, शिबू कुमार, लक्ष्मण रक्षित, गोविंद महतो, दुम्मा का प्रदीप दां, संतोष कुमार एवं रमेश सिंह उर्फ राजू शामिल था। जामताड़ा के पंकज दास ने बताया कि वह इंटर तक पढ़ा है। पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जामताड़ा में ही मैंने पूजा सामग्री का दुकान लक्ष्मी पूजा भंडार खोला था। उसमें गांजा भी बेचता था। कभी-कभी वह बिहार से छोटा हथियार मंगा कर भी बेचता था। उसके पास एक माउजर था जिसे उसने बिहार से बहुत पहले खरीदा था। इस हथियार के बल पर वह सड़क वर वाहनों को रोककर पैसा वसूलता था। इसी बीच उसकी जान पहचान पूर्वी टुंडी क चुरूरिया निवासी प्रदीप दां, दुम्मा निवासी प्रदीप दां, संगीत चार, उत्तम कुमार, लक्ष्मण रक्षित, गोविंद महतो, बादल चार, शंकर, संतोष कुमार, रमेश सिंह उर्फ राजू एवं अन्य से हो गई। शिबू दां, प्रदीप दां, बादल चार एवं शंकर साइबर फ्राड करता है। गिरफ्तार चारों आरोपियों ने पुलिस को बताया है कि ये लोग हथियार के बल पर वाहनों से जो वसूली कर रहे थे, इसकी जानकारी पुलिस को हो गई थी। इसके बाद पुलिस लगातार पेट्रोलिंग करने लगी। इससे उनकी कमाई बंद हो गई। पता चला कि उन लोगों के बारे मेंं पुलिस को जानकारी दुम्मा निवासी व शहरपुरा ग्राम रक्षा दल का सदस्य शंकर दे रहा है। इतना ही नहीं, जब कभी भी किसी दूसरे राज्य की पुलिस साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए आती है तो उनके घर का पता और सारी जानकारियां शंकर देता था। इसी को लेकर प्रदीप दां ने एक बार शंकर को धमकाया भी था। बोला था, हम लोग जो भी काम कर रहे हैं इसकी सूचना पुलिस को नहीं दो। नहीं तो तुम्हारा बुरा अंजाम होगा। फिर भी शंकर नहीं माना। वह हम लोगों की सारी जानकारी पुलिस को देता रहा। इस कारण, हम लोगों ने तय किया कि इसको रास्ते से हटा देना ही ठीक होगा। इसी बीच दुम्मा निवासी प्रदीप दां एवं बादल चार ने बताया कि शंकर दे एवं उसके गोतिया में जमीन विवाद को लेकर मारपीट हुई है। इसका फायदा उठाकर योजना बनाएं कि एक-दो दिनों के अंदर शंकर को रास्ते से हटा देना है। प्रदीप ने बताया कि 11 जुलाई को दुम्मा का प्रदीप, संगीत चार एवं उत्तम दां मेरे दुकान करमदाहा बोलेरो लेकर आए। प्रदीप बोला कि माउजर दो। आज रात शंकर दे को खत्म कर देंगे। पंकज दास ने माउजर और चार गोली प्रदीप दां को दे दी। प्रदीप ने बताया कि अब काम हो जाएगा। टोटल सात गोली हो गई है। पंकज ने पूछा तीन गोली और कहां से लिया। उसने बताया कि गोविंद महतो ने तीन गोली दी है। उसके बाद सभी ने करमदाहा में ही शराब पी। वहीं से संतोष, रमेश सिंह उर्फ राजू को फोन करके बोला कि शंकर पर निगरानी रखो। प्रदीप और संगीत ने चार और लोगों को फोन करके कहा कि आज शंकर का काम खत्म कर देना है। उस पर निगरानी रखो। उसके बाद तीनों मेरे दुकान से चले गए और कहा बाइक से आते हैं। तुमको कॉल करेंगे तो तुम भी मोड़ आ जाना। उसके बाद शंकर को मारने चलेंगे। रात 10 बजे हम सभी लोग पूर्वी टुंडी के हाथसरा मोड़ के पास जंगल में इकट्ठा हुए। संतोष और रमेश मोड़ के पास ही घूम रहा था। उसके बाद मैं, प्रदीप दां, अंकित चार व उत्तम हाथसरा के पास जंगल में बैठकर शराब पीने लगे। कुछ देर बाद रमेश के नंबर पर फोन आया, निगरानी रखो कब शंकर घर से निकल रहा है। वहां बैठे-बैठे काफी देर हो गई। तभी प्रदीप और संगीत के मोबाइल पर बारी-बारी से फोन आने लगा कि शंकर दे बाइक लेकर घर से शहरपुरा जाने के लिए निकल गया है और वह अकेला है। तभी हम लोग जंगल से निकलकर धुमा गांव जाने वाली रोड में जाने लगे। देखें एक बाइक धुमा गांव की तरफ से आ रही है। हम लोग रोड के किनारे तालाब के पास छुप गए। देखें कोई नहीं है। जैसे ही शंकर दे तालाब के पास आया, हम लोग उसको घेर लिए। चुरूरिया के प्रदीप ने गाली देते हुए बोला तुम पुलिस का खबरी बन गया है। इतना बोलते ही दुम्मा के प्रदीप दां ने माउजर से शंकर दे पर गोली चलाना शुरू कर दिया। गोली तब तक चलाता रहा, जब तक माउजर की सारी सातों गोली खत्म नहीं हो गई। इसके बाद संगीत, प्रदीप को लगातार फोन आने लगा। संगीत ने फोन उठाकर बोला काम हो गया। तुम लोग सब अपने-अपने घर चले जाओ। उसके बाद हम लोग अपने-अपने घर चल दिए। तब प्रदीप दां ने बोला, हम संगीत और उत्तम देवघर जा रहे हैं। प्रदीप माउजर भी अपने साथ लेकर चल गया। जाते-जाते लोग बोला कि हम लोगों की जो भी बातचीत हुई है, उसे डिलीट कर देना। रोज फोन करके बताना कि कहां क्या हो रहा है। इतना बोल कर वह लोग भी चला गया। बाकी लोग भी अपने घर आ गए।
दुम्मा से शहरपुरा जाने के रास्ते में शंकर की हुई थी हत्या
शंकर दे की हत्या दुम्मा से शहरपुरा जाने के रास्ते में 11 जुलाई की रात 10 बजे गोली मारकर कर दी गई थी। प्राथमिकी मृतक शंकर दे के पुत्र मधुसूदन दे की लिखित शिकायत पर पर 12 जुलाई को पूर्वी टुंडी थाने में दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में मधुसूदन ने मिहिर दे, उमेश दे, प्रदीप दां चुरुरिया निवासी
सत्यनारायण चार, बादल चार, नारायण दत्ता, निवास दत्ता, राधेश्याम दत्ता एवं दुम्मा निवासी प्रदीप दां के विरुद्ध हत्या और हत्या के षड्यंत्र का आरोप लगाया था। अनुसंधान के दौरान पुलिस ने चार आरोपितों को पकड़ा, जिसने कांड में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है।