अविनाश पांडेय की रणनीति से भाजपा के चक्रव्यूह को तोड़ने में सफल रही कांग्रेस
डीजे न्यूज डेस्क, रांची : कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने के चुनौतीपूर्ण समय में पार्टी के सुलझे हुए नेता और सभी को साथ लेकर चलने वाले अपने महासचिव अविनाश पांडेय को झारखंड के प्रभारी की कमान जिस उम्मीद से सौंपी थी, उस पर अविनाश पांडेय पूरी तरह से खरा उतरे हैं। अविनाश पांडेय ने सटीक रणनीति एवं कुशल नेतृत्व से झारखंड में भाजपा ने जो चक्रव्यूह बनाया था, उसे ध्वस्त कर दिया। पांडेय यदि इस चक्रव्यूह को नहीं तोड़ पाते तो झारखंड में कांग्रेस के पास शायद चार से पांच विधायक ही बचते। ऐसे में कांग्रेस के लिए झारखंड में अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाता। यह अविनाश पांडेय की सटीक रणनीति, पैनी नजर और दूरदृष्टि का ही कमाल था कि पार्टी के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप एवं नमन विक्सल के संदेहास्पद स्थिति मेंं पकड़े जाने के बाद संगठन ने तीनों विधायकों पर तत्काल अनुशासनिक कार्रवाई की। इससे यह संदेश भी गया कि पार्टी अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगी। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस पूरी तरह से गठबंधन की सरकार के साथ खड़ी है। सूबे की सरकार को कोई खतरा होने कांग्रेस नहीं देगी।
पार्टी ने तीनों को पार्टी से निलंबित कर जो सख्ती दिखाई उससे जो भी विधायक इस साजिश में शामिल थे, वह पीछे हट गए। वैसे संकट फिलहाल पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। पार्टी के कार्यकर्ता अविनाश पांडेय का गुरुवार को जन्मदिन मना रहे हैं। झारखंड में कांग्रेस के नेता एवं कार्यकर्ता उन्हें जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं। जन्मदिन के मौके पर पांडेय ने झारखंड में कांग्रेस को बचाकर पार्टी को रिटर्न गिफ्ट दिया है। पांडेय के इस गिफ्ट से निश्चित रूप से कांग्रेस फिर से एकजुट नजर आएगी।
प्रदेश की कमान संभालते ही पांडेय एक्शन में आ गए थे। उनके नेतृत्व में पार्टी लगातार जमीन पर काम कर रही है। इसका असर भी दिख रहा है। मौजूदा संकट के बीच अविनाश पांडेय झारखंड में कांग्रेस को 2024 के लिए तैयार करने के मिशन में लगे हुए हैं।
आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर उन्होंने झारखंड के सभी जिलों मेंं कांग्रेस को 75 किमी पदयात्रा करने का टास्क दिया है। एक-एक जिले की वह खुद मानिटरिंग कर रहे हैं। पूरे प्रदेश मेंं उन्होंंने कांग्रेस को रेस कर दिया है। कांग्रेस जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए उन्होंने इंटरव्यू का जो फार्मूला दिया है, उससे झारखंड का जमीनी कांग्रेस कार्यकर्ता काफी प्रभावित है। पहली बार किसी प्रदेश प्रभारी को खुद सुबह से रात तक चुनाव प्राधिकरण के पदाधिकारियों, प्रदेश अध्यक्ष एवं जिला कोर्डिनेटरों के साथ बैठ कर एक-एक प्रत्याशियोंं का इंटरव्यू लेते कैडरों ने देखा है। इसका काफी सकारात्मक असर कांग्रेसियोंं पर पड़ा है।