कांग्रेस-भाजपा ने आदिवासियों को किया धार्मिक आजादी से वंचित : सालखन मुर्मू
कांग्रेस-भाजपा ने आदिवासियों को किया धार्मिक आजादी से वंचित : सालखन मुर्मू
सरना धर्म कोड आदिवासियोंं के अस्तित्व की जीवन रेखा, हर हाल में लेकर रहेंगे
डीजे न्यूज, रांची : सरना धर्म कोड के लिए आदिवासी सेंगेल अभियान ने 30 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इसे लेकर शनिवार को सरना धुमकुड़िया करमटोली रांची में आदिवासी संगठनों की बैठक हुई। बैठक में भारत बंद को सफल बनाने का फैसला लिया गया। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की की अध्यक्षता में संपन्न आज की बैठक में आदिवासी सेंगेल अभियान, केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी छात्र संघ, सरना धर्म समन्वय समिति (खूंटी), अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद आदि के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस मौके पर फूलचंद तिर्की ने कहा जब 1951 की जनगणना तक आदिवासियों के लिए अलग धार्मिक कलम कोड था तो उसे कांग्रेस पार्टी ने क्यों हटाया और अब भाजपा जोर जबरदस्ती आदिवासियों को हिंदू का ठप्पा क्यों लगाना चाहती है। ऐसे में आदिवासियों को पार्टियों और नेताओं से ज्यादा जनता और आंदोलन पर भरोसा करना पड़ेगा। बोडोलैंड आंदोलन की तरह जीत हासिल करनी होगी। हाल के गुमला, लोहरदगा, खूंटी की बैठकों में भारत बंद के प्रति जनता का बहुत रुझान दिखा है। हमें पूर्व सांसद सालखन मुर्मू की अगवाई पर विश्वास और भरोसा है। हम जरूर सफल होंगे। बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल पूर्व सांसद और सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा की हम हर हाल में सरना धर्म कोड लेकर रहेंगे। अन्यथा हमें जबरन हिंदू, मुसलमान और इसाई आदि बनने को मजबूर होना पड़ेगा। यह हमारे अस्तित्व की जीवन रेखा है, मौलिक अधिकार है। भारत बंद जोरदार होगा। चूंकि इस बार अनेक आदिवासी समाज ( मुंडा, उरांव, हो, संताल, लोहरा आदि) का समर्थन मिल रहा है। अब तक आदिवासियों को धार्मिक आजादी से वंचित करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोषी है। तब भी हमारा नारा है- जो सरना कोड देगा, आदिवासी उसको वोट देगा।
सालखन मुर्मू ने आगे कहा सरना आंदोलन बृहद आदिवासी एकता का आंदोलन है और भारत में आदिवासी राष्ट्र स्थापित करने का भी आंदोलन है।
आदिवासी छात्र संघ की तरफ से सुमित उरांव, मोनू लकड़ा, मनोज उरांव ने भारत बंद के समर्थन में अपने सार्थक विचार रखे। सेंगेल की तरफ से सुमित्रा मुर्मू, देवनारायण मुर्मू और चंद्र मोहन मार्डी ने विचार रखा। केंद्रीय सरना समिति की तरफ से संजय उरांव, प्रमोद एकका, भुनेश्वर लोहरा, अमर तिर्की, चंदन पाहन ने विचार रखा। सरना धर्म समन्वय समिति की तरफ से बिरसा कंडीर (खूंटी) ने भारत बंद का समर्थन किया। आज की बैठक में सोहन कच्छप, अमित टोप्पो, नोवेल टोप्पो, बालकु उरांव, निर्मल पाहन, घनश्याम टुडू आदि शामिल थे।
बैठक में मूल सुझाव आया कि गांव- समाज के आदिवासियों को भारत बंद के लिए जगाना, जोड़ना और खड़ा करना होगा ताकि सभी लोग अपने-अपने गांव के पास जत्था बनाकर रेल और रोड चक्का जाम कर सकें। 30 दिसंबर के पहले जगह-जगह मशाल जुलूस निकालना और भारत बंद के लिए प्रचार प्रसार और दीवार लेखन आदि भी करना है।