नई दिल्ली में जुटे सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता

0
IMG-20240328-WA0002

नई दिल्ली में जुटे सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता

अक्षय तृतीया और शादी के मौसम में बाल विवाह रोकने पर हुआ मंथन

डीजे न्यूज, धनबाद : अक्षय तृतीया और शादी ब्याह के मौसम को देखते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान से जुड़े विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं‌ का जुटान नई दिल्ली में हुआ। सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए इस क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन वी फॉर हर फाउंडेशन और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोग से इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड ने किया। कार्यशाला में आने वाले शादी ब्याह के मौसम में बाल विवाह की रोकथाम के लिए अदालत से निषेधाज्ञा आदेश लाने, प्रत्येक गांव का जनसांख्यिकीय अध्ययन और बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील परिवारों की पहचान, धार्मिक स्थलों के सामने बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का संदेश देने वाले तथा मंदिर या मस्जिद में बाल विवाह नहीं कराए जाने से संबंधित पोस्टर‌ लगाने,  पंचायत भवनों में बाल‌ विवाह कराने या इसमें शामिल होने पर होने वाली सजा के बारे में जानकारी देने‌ वाले पोस्टर लगाने आदि विषयों पर चर्चा हुई।‌
==भारत एसडीजी को हासिल करने की ओर अग्रसर: भुवन ऋभु
प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं लेखक भुवन ऋभु ने कहा कि भारत 2030 तक बाल विवाह की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने की ओर अग्रसर है। देश में बाल विवाह की ऊंची दर वाले इलाकों में पिछले एक वर्ष में गैर सरकारी संगठनों और सरकारों के प्रयासों ने जो गति पकड़ी है, उसे मजबूती और विस्तार देने की आवश्यकता है। बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में अगले एक माह काफी महत्वपूर्ण हैं और समुदायों, पंचायतों, गैरसरकारी संगठनों और राज्य, जिला एवं प्रखंड स्तर पर सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है कि इस अक्षय तृतीया किसी बच्चे का बाल विवाह नहीं होने पाए। उन्होंने आगे कहा कि बाल विवाह एक वैश्विक समस्या है लेकिन दुनिया के किसी भी देश ने एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नीतियों और क्रियान्वयन के स्तर पर उतनी तरक्की नहीं की है, जितनी भारत ने की है। सच कहें तो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की असली सफलता बाल विवाह के खात्मे में है। भुवन ऋभु ने हाल ही में आई अपनी बेस्टसेलर किताब व्हेन चिल्ड्रन हैव  चिल्ड्रन  टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज में 2030 तक बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक मुकाम तक पहुंचने के‌ लिए एक ठोस रणनीतिक खाका पेश किया है। इस किताब में सुझाई गई रणनीतियों को देशभर के नागरिक, सामाजिक संगठनों ने भी अंगीकार किया है।
==सभ्य दुनिया में बाल विवाह की जगह नहीं: राजीव भारद्वाज
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड के ट्रस्टी राजीव भारद्वाज ने कहा कि बाल विवाह बच्चों की सुरक्षा के लिए शुरू की गई सभी पहलों और प्रयासों के लिए एक अभिशाप है और एक सभ्य दुनिया में इसकी कोई जगह नहीं है।
==अनुभव को किया साझा: कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से आए सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं (कम्यूनिटी सोशल वर्कर्स) ने बाल विवाह की रोकथाम में आ रही चुनौतियों के बारे में एक दूसरे से अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान इससे निपटने के तरीकों और बाल विवाह को हतोत्साहित करने‌ वाले कदमों की जानकारी दी गई। खासकर बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले कानून के बारे में विस्तार से जानकारी‌ दी ग ई। कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञों और रणनीतिकारों ने अक्षय तृतीया के दौरान बाल विवाहों को रोकने पर विस्तार से मंथन किया और इसे रोकने के लिए रणनीतिक उपाय सुझाए।
==मील का पत्थर साबित होगा कार्यशाला: शंकर
धनबाद के गैर सरकारी संगठन झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के संस्थापक प्रो. शंकर रवानी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं बाल‌ विवाह की रोकथाम के लिए जमीनी अभियान चला रहे कार्यकर्ताओं के सामने आ रही चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में सक्षम बनाने में सहायक होंगी। सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता के प्रसार, लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाने और बाल‌ विवाह रोकने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं।

इस खबर को शेयर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *