स्वच्छता जीवन व्यवहार है : डॉ बलभद्र

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डीजे न्यूज, गिरिडीह :
गिरिडीह कॉलेज गिरिडीह के एनएस एस यूनिट एक द्वारा आयोजित सात दिवसीय शिविर का दूसरा दिन दो सत्रों में संपन्न हुआ। पहला सत्र श्रमदान का था। इसके तहत गोद लिए गए गांव सिहोडीह के नया पुल के पास की एक गली में इस यूनिट के स्वयंसेवकों ने साफ सफाई का काम किया। सफाई कार्य में लगे छात्र छात्राओं ने कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत भी की। विद्यार्थियों ने आयोजित इस कैंप की भी जानकारी दी। साफ सफाई के सत्र के समापन पर एनएसएस इकाई एक के प्रोग्राम ऑफिसर डॉ.बलभद्र सिंह ने स्वयंसेवकों से बातचीत के दौरान यह बताया कि स्वच्छता कोई एकदिन का कार्यक्रम नहीं है। यह प्रतिदिन और प्रतिक्षण का विषय है। साथ ही यह भी कहा कि गांधी जी ने जिस स्वच्छता की बात की है, दरअसल वह महज बात नहीं है। वह जीवन व्यवहार है। स्वच्छता का संबंध केवल ऊपर की सफाई से नहीं है, बल्कि यह हमारे मन और आचरण की स्वच्छता से जुड़ा है। बलभद्र ने यह भी कहा कि सफाई कार्यक्रमों से जुड़ने का मतलब एक बड़े संकल्प के करीब होना है। प्रथम सत्र के आखिर में स्वयं सेवकों ने आपस में स्वच्छता पर बातचीत भी की।
कार्यक्रम का दूसरा सत्र स्वाथ्य चिंतन और पर्यावरण पर केंद्रित था। इस सत्र में दो आमंत्रित वक्ता थे। स्वास्थ्य के प्रश्नों पर बातचीत के लिए प्रो. ओंकार चौधरी और पर्यावरण पर बातचीत के लिए डॉ.प्रभाष मणि पाठक उपस्थित थे। ओंकार जी ने वायरस, बैक्ट्रिया आदि पर बात करते हुए कहा कि वायरस के लिए वैक्सीन जरूरी है। उन्होंने मलेरिया, फाइलेरिया आदि कई बीमारियों के कारण और निवारण पर प्रकाश डाला। प्रभाष मणि जी ने पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस दूसरे सत्र के कार्यक्रम को रोचक बनाने में बालेंदु शेखर की सराहनीय भूमिका रही। उन्होंने ‘सीने में जलन सांसों में तूफान सा क्यों है’ और ‘ये धरती ये नदियां ये रैना ‘ को यू ट्यूब से सुनाकर इन गीतों के नए अर्थों की तरफ भी इशारा किया।
धन्यवाद ज्ञापन हर्षिता कुमारी ने किया।

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