20 दिन से आदिवासी बच्चा लापता, चाइल्ड लाइन ने लिया संज्ञान

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : सरिया बाजार, बाघा मोर अवस्थित जगदंबा स्वीट्स से लापता बच्चे का संज्ञान चाइल्ड लाइन, वनवासी विकास आश्रम बगोदर ने लिया है। इस बाबत चाइल्ड लाइन टॉल फ्री नंबर 1098 पर बीते 3 अगस्त को संध्या छह बजे सूचना मिली की एक नाबालिग आदिवासी बच्चा सोमलाल सोरेन जिसका उम्र 13 साल है, 14 जुलाई से लापता है। इस संबंध में बच्चे के पिता हुलास मांझी ने 27 जुलाई को सरिया थाना में लिखित आवेदन देकर बच्चे की तलाश की गुहार लगाई थी।आज चाइल्ड लाइन टीम सदस्य भागीरथी देवी तथा ओम प्रकाश महतो ने थाने में जाकर स्थिति का जायजा लिया। थाना प्रभारी सरिया ने जानकारी दिया कि गुमशुदगी का स्टेशन डायरी मेंटेन कर लिया गया है परंतु एफ आई आर दर्ज नहीं हुआ है। अभी खोजबीन जारी है। पुलिस द्वारा इस मामले को गंभीरता से लिया गया है। सूचना मिलते ही चाइल्ड लाइन को अवगत कराया जाएगा। टीम सदस्यों ने कहा कि कहां ठीक कानून के अनुसार कोई भी बच्चा अगर लापता होता है तो तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर खोजबीन जारी कर देने की जरूरत है। अगर विलंब हुआ तो बच्चे का जीवन खतरे में पड़ सकता है। प्राथमिकी दर्द की जाए। इसके लिए आवश्यकता हुई तो अखबारों में विज्ञापन भी दिए जाएं क्योंकि घटना का 20 दिन हो चुका और अब तक बच्चे का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। बच्चे के अभिभावक हैरान परेशान हैं। चाइल्ड लाइन इसे गंभीरता से लिया है। उसके बाद उसके बाद टीम सदस्य जगदंबा स्वीट्स के मालिक से भी मिले जहां से बच्चा गायब हुआ है। क्योंकि लापता बच्चे के पिता का कहना है की होटल के मालिक ने ही बच्चे को गायब करवाया है। इस आरोप पर कितनी सच्चाई है इसकी जांच करने की जरूरत है। जगदंबा होटल के मालिक ने कहा कि बच्चा हमारे यहां बाल मजदूरी करता था लेकिन अचानक कहां गायब हो गया। इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने माना की बाल मजदूरी कराना गैर कानूनी है। चाइल्ड लाइन का मानना है कि गुमशुदगी के मामले में सूचना मिलते ही पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज हो जानी चाहिए। अमूमन पुलिस मामले को दर्ज करने से बचती है। अगर पुलिस त्वरित कार्रवाई करें तो बच्चे का जीवन सुरक्षित किया जा सकता है। चाइल्ड लाइन बगोदर सब सेंटर के निदेशक सुरेश कुमार शक्ति ने बताया कि एक आंकड़े के मुताबिक झारखंड में 2017 से 2021 तक 2727 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें से 1114 बच्चे लड़के हैं और 1613 लड़कियां हैं। 943 लड़के और 1412 लड़कियों को झारखंड पुलिस ने बरामद किया है। झारखंड में गुमशुदा बच्चों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। बाल व्यापार का मुद्दा गंभीर है। बच्चों का तस्करी हो रहा है। यहां के बच्चों को मल्टीसिटी में बेच दिया जाता है परंतु गुमशुदगी के मामले में प्रशासन गंभीर नहीं है।

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