चम्पाई सोरेन ने पीरटांड़ में आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए की आवाज बुलंद
चम्पाई सोरेन ने पीरटांड़ में आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए की आवाज बुलंद
मधुबन में मांझी परगना महासम्मेलन का आयोजन
डीजे न्यूज, पीरटांड़, गिरिडीह : मधुबन मेला मैदान में सोमवार को मांझी परगना महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। यह कार्यक्रम संथाल समाज को जागरूक और संगठित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था, जिसमें चम्पाई सोरेन ने संथाली भाषा में अपना संबोधन दिया और समाज के सामने आ रही चुनौतियों पर चर्चा की।
महासम्मेलन में पीरटांड़, डुमरी और आसपास के क्षेत्रों से संथाल समाज के धर्मगुरु और सदस्य शामिल हुए। इस दौरान उन्हें धार्मिक और सामाजिक मूल्यों की शिक्षा दी जा रही थी। चम्पाई सोरेन ने अपने संबोधन में झारखंड के आदिवासी समुदाय के साथ हो रहे अन्याय और प्रशासनिक दखल पर गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति देश की गुलामी के समय जैसी होती जा रही है, जहाँ हमारे धार्मिक स्थलों पर प्रशासनिक पाबंदियाँ लगाई जा रही हैं। सोरेन ने झारखंड की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में बाहरी लोगों का प्रभाव अधिक हो गया है, जिससे आदिवासी समाज के धर्म और संस्कृति को खतरा है।
उन्होंने संथाल समाज के लोगों से एकजुट होने और अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर संघर्ष करने का आह्वान किया। साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया कि चुनावों के बाद वह फिर लौटेंगे और समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। यह याद दिलाते हुए कि मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने पारसनाथ पहाड़ स्थित दिशोम मांझी थान में पूजा-अर्चना की थी, उन्होंने बताया कि आज वहां प्रशासन ने ताला लगा दिया है, जो आदिवासी समुदाय के लिए गहरा अन्याय है।
चम्पाई सोरेन के जाने के बाद, स्थानीय समुदाय ने एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें प्रशासन द्वारा संथाल समाज के धार्मिक स्थलों पर लगाई जा रही पाबंदियों और उत्पीड़न पर चिंता जताई गई। बैठक में समुदाय को दिशोम मांझी थान के महत्व और प्रशासन द्वारा उत्पन्न समस्याओं पर जागरूक किया गया।
महासम्मेलन को शानू हेम्ब्रम, रमेश हेम्ब्रम, सर्जन हांसदा, सुनील हेम्ब्रम, सिकन्दर हेम्ब्रम, फूलचंद किशकु, दीवान बेसरा, सीताराम सोरेन, बुधन हेम्ब्रम, अर्जुन हेम्ब्रम, फागु मरांडी और साहेबराम मुर्मू समेत कई समाज के नेताओं ने संबोधित किया और अपने विचार रखे। इस महासम्मेलन ने संथाल समाज को एकजुटता का संदेश दिया और अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत आवाज उठाई।