सीसीएल के सुरक्षा अधिकारी भोला सिंह हत्याकांड में किशोर को उम्रकैद, पप्पू मरीक पर फैसला बाकी
डीजे न्यूज, गिरिडीह : सीसीएल की गिरिडीह एरिया के सुरक्षा अधिकारी भोला सिंह उर्फ जयप्रकाश सिंह हत्याकांड में दोषी किशोर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जिला जज वन सह किशोर न्यायालय गोपाल पांडेय की अदालत ने गुरुवार को यह सजा सुनाई है।साथ ही 20 हज़ार रुपए अर्थदंड जमा करने का भी आदेश दिया है। अन्य धाराओं में भी सजा सुनाई गई है। सभी सजा साथ-साथ चलेगी। इसके पूर्व सजा की बिंदु पर बहस करते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र देव ने न्यूनतम सजा देने की मांग की।उन्होंने कहा कि दोषी करार दिया गया व्यक्ति किशोर है, जो जुबेनाइल की श्रेणी में आता है।कम उम्र में किये गए अपराध में नरमी बरतने की जरूरत है। वहीं एपीपी सुधीर कुमार ने कहा कि यह मामला जघन्य अपराध से जुड़ा है। एक डयूटी निभाने वाले अधिकारी को रास्ते से अपहरण कर बेरहमी से हत्या की गई थी। हत्या के बाद शव को गहरे कुएं में डाल दिया गया था। हत्यारा का उम्र कम रहा होगा, पर मनोचिकित्सक ने उसे बड़े व्यक्ति के विकसित मस्तिष्क वाला बताया था। एपीपी ने कड़ी सजा देने की मांग की।न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सुनवाई के दौरान किशोर को कड़े सुरक्षा में हजारीबाग बाल सुधार गृह से लाया गया था। घटना गिरिडीह मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के बनियाडीह की एक जुलाई 2019 की है।
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चाकू से हत्या कर शव को जलते हुए खदान में झोंका,फिर डाला था चानक में :
इस घटना को लेकर मृतक भोला सिंह की पत्नी रेणु देवी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।अपने दिए आवेदन में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या के नियत से अपने पति का अपहरण करने की आशंका जताई थी। कहा था कि उसके पति विगत 31 साल से बनियाडीह कोलियरी सीसीएल में प्रभारी सुरक्षा निरीक्षक थे। ड्यटी के दौरान घर से मुफ्फसिल थाना गए थे। उनके नहीं लौटने पर दो जुलाई को आवेदन दी थी। पुलिस ने इस मामले में अनुसंधान शुरू किया। भोला सिंह सीसीएल क्षेत्र में अवैध कोयला खनन की शिकायत दर्ज कराने मुफ्फसिल थाना गए थे।अवैध खनन को रोकने से कई लोग नाराज़ थे।इसी बीच थाना से निकलते ही दो व्यक्ति ने उनका पीछा किया।सीसीएल डीएवी स्कूल के आगे उनकी बाइक को रोककर चाकू मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के बाद साक्ष्य छिपाने के नियत से मृतक के शव को दहकते खदान में झोंका। फिर बचे अवशेष को पास के गहरे कुएं में डाल दिया।साथ ही भोला सिंह की बाइक भी कुएं में डाल दिया था। काफी मशक्कत के बाद किशोर के साथ एक अन्य आरोपित पप्पू मरीक को गिरफ्तार किया गया था।दोनों ने जुर्म को कबूल भी किया था। पप्पू मरीक का मामला अदालत में अलग से चल रहा है।
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साक्ष्य के लिए बुलाना पड़ा था एनडीआरएफ को :
हत्या के बाद आरोपितों की गिरफ्तारी हो गई।जुर्म कबूल के बाद भी पुलिस के पास साक्ष्य नहीं थे जो न्यायालय में दोषी साबित करा सके।जिला प्रशासन के सहयोग से एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया था। कई दिनों की मेहनत के बाद एनडीआरएफ की टीम में मृतक का खून लगा जीन्स,चाकू, हड्डी आदि निकाल पाई थी। इन सामानों को एफएसएल में जांच कराई गई। रक्त के नमूने मृतक के स्वजनों से मिलान किया गया जिसमें यह पाया गया था कि मृतक भोला सिंह ही थे। न्यायालय में एपीपी ने दस गवाहों का परीक्षण कराया। इनमें सूचक,अनुसंधान कर्ता तत्कालीन थानेदार रत्नेश मोहन ठाकुर और अहम गवाह संदीप यादव शामिल थे। संदीप की गवाही ने हत्या को साबित करने में अहम भूमिका निभाई।