गीता के ज्ञान में डूबने से पंथवाद, संप्रदायवाद, जातिवाद, नफरत, अराजकता से व्यक्ति मुक्त हो सकता :  सद्गुरु मां ज्ञान

0
IMG-20241211-WA0035

गीता के ज्ञान में डूबने से पंथवाद, संप्रदायवाद, जातिवाद, नफरत, अराजकता से व्यक्ति मुक्त हो सकता :

सद्गुरु मां ज्ञान

डीजे न्यूज, गिरिडीह : साक्षात भगवान के श्रीमुख से निकली वाणी श्रीमद्भागवत गीता की 5161 में जयंती का दो दिवसीय भव्य आयोजन श्री कबीर ज्ञान मंदिर में बुधवार को शुरू हुआ।

आयोजन का शुभारंभ सद्गुरु मां ज्ञान द्वारा श्रीमद्भतगीता के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात सद्गुरु मां ज्ञान के सानिध्य में 1001 व्रतियों द्वारा श्रीमद् भागवत गीता के 18 अध्यायों का स्वर अखंड पाठ किया गया। इस अवसर पर सदगुरू मां ज्ञान ने अपने उपदेश में कहा कि

गीता ग्रंथ सनातन धर्म और पुरातन धर्म का द्वार है।

गीता साकार और निराकार का संगम है, और गुप्त रुप से उसमें ज्ञान की प्रचंड धारा सरस्वती भी बह रही है। कबीर,नानक, बुद्ध, जैनो के चौबीसों तीर्थंकर की वाणियों में भी है, वो गीता में पहले से है।

गीता को यदि विश्व साहित्य के रुप में अपना लिया जाए तो पंथवाद और संप्रदायवाद से ऊपर उठा जा सकता है।

गीता में जो वाणी नहीं है, और कही भी है तो वो मंगलकारी नहीं हो सकता है और वो स्वीकृत नहीं है।

यदि व्यक्ति अपने जीवन में गीता के ज्ञान को अपनाता है वह नर से नारायण, नारायण से पुरुषोत्तम, संसारी से सन्यासी, दुखी से आनन्दित हो जाएगा।

जितना भी कल्याणकारी पहलु है वे सब गीता में है। हमारा परम कर्तव्य है कि है विराट भाव से सभी जगह में गीता का प्रचार करें तब इसका तरंग सब जगह अपने आप फैल जाएगा।

क्योंकि गीता ही वह ग्रंथ है जो किसी धर्म संप्रदाय का न होकर मानव मात्र का ग्रंथ है। गीता के ज्ञान में डूबने से पंथवाद, संप्रदायवाद, जातिवाद, नफरत, अराजकता से व्यक्ति मुक्त हो सकता है। दुखी से दुखी व्यक्ति के जीवन में आनंद छा सकता है। मानव संकुचितता के भाव से निकलकर विराट हृदय वाला बन सकता है। मानव मात्र से प्रेम और सबों के हित की भावना रख सकता है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर जन मानस को जीवन जीने की कला सीखाने के लिए गीता का ज्ञान धरती पर फैलाया।

सद्गुरु मां ज्ञान ने कहा कि

श्री कृष्ण को मानना आसान है, लेकिन श्री कृष्ण की मानना आसान नहीं है। श्रीकृष्ण कभी लीलाधर मखनचोर है, कभी बंशीधर है, कभी योगीराज हैं तो कभी भक्तवत्सल हैं। लेकिन श्री कृष्ण की मानने कें लिए हमें गीता में डुबकी लगाना होगा। महर्षि वेदव्यास ने कहा कि गीता समस्त श्रुतियों की रानी है। गीता समस्त वेदों, पुराणों, श्रुतियों की सार है। कहा कि आज का मानव- जीवन अशांति और अज्ञान का पर्याय बन गया है। ऐसे में गीता वह संजीवनी बूटी है, जो मानव को दहकते दुखों से निकालकर शांति व सुख की ममतालु गोद में समेट लेने की क्षमता रखती है।

इस दिव्य अवसरपर गीता ग्रंथ के अखंड पाठ में डुबकी लगाकर व्यक्ति ग्रहदोष, पितृदोष, दारिद्रयोग, विपन्नयोग, शनि की साढ़ेसाती, ग्रहनदोष आदि अनेकानेक ताप-दुःखों से मुक्त होकर परम सौभाग्य को प्राप्त कर सकता है।

सद्गुरु मां ज्ञान ने आगे कहा, ‘आज का मानव- जीवन अशांति और अज्ञान का पर्याय बन गया है। ऐसे में गीता वह संजीवनी बूटी है, जो मानव को दहकते दुखों से निकालकर शांति व सुख की ममतालु गोद में समेट लेने की क्षमता रखती है।

 

परम कल्याणकारी कर्तव्य पथ की दर्शिका, अमृतमय प्रेम-भक्ति की संवाहिका और ज्ञान-विज्ञान की शीतल-शांत ज्योत्स्ना की प्रकाशिका है गीता।

 

सही मार्ग दर्शिका, तनाव-चिंता खंडिका, बंधन मुक्त कारिणी, कर्मकला प्रदायिनी, सुखमयी प्रेरणा दीपिका एवं सच्ची हमसफर है गीता।

 

गीता में वह सब कुछ है, जो मानव समुदाय को शांत, सुखी, संतृप्त बना सकता है। पारिवारिक, समाजिक, सांस्कृतिक , व्यवहारिक, आध्यात्मिक समस्त कल्याणकारी पहलू श्रीमद् भगवद्गीता में पूर्णतः प्रकाशित है।’

 

कल गुरुवार द्वितीय दिवस में श्रीमद्भागवत गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन तत्पश्चात भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

इस खबर को शेयर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *