बांग्ला भाषा उन्नयन समिति ने दिया धरना 

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बांग्ला भाषा उन्नयन समिति ने दिया धरना 

डीजे न्यूज, धनबाद: नौ सूत्री मांगों को लेकर झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति ने मंगलवार को रणधीर वर्मा चौक पर धरना दिया। वक्ताओं ने कहा कि झारखंड स्थापना के 24 साल बाद बांग्ला भाषी अपना अधिकार खो रहे हैं। झारखंड में बहुतायत की संख्या में बांग्ला भाषी के रहने के बावजूद बंगाली शिक्षक भर्ती प्रक्रिया बंद कर दी गई है। बांग्ला पुस्तक की छपाई बंद हो गयी। बांग्ला अकादमी का गठन नहीं हुआ। राज्य में बांग्ला को दूसरी अधिकारिक भाषा के रूप में अभी तक लागू नहीं किया गया है। नई शिक्षा नीति के अनुसार हर सरकारी और निजी स्कूल में बंगाली भाषा में पढ़ाई अनिवार्य नहीं की गई है। बार-बार मांग के बावजूद अल्पसंख्यक आयोग में चार साल बाद उपाध्यक्ष की जगह एक सदस्य की नियुक्ति की गई है। धनबाद रेल मंडल के अधीन सभी रेलवे स्टेशन में बांग्ला भाषा में नाम लिखवाया जाए जैसा कि दक्षिण पूर्व रेलवे ने किया है। वक्ताओं ने कहा कि  सभी स्टेशनों का नाम पहले बांग्ला में हुआ करता था।

चैतन्य महाप्रभु के नाम पर एनएच 33 के लिए आवेदन का कोई जवाब नहीं आया।‌ बंगाली बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव के लिए बंगाली उम्मीदवार को नामांकित करने के लिए राजनीतिक दलों के आवेदन के बाद भी कोई लाभ नहीं हुआ है। धरना के बाद प्रतिनिधिमंडल ने एडीएम ला एंड आर्डर को मांगपत्र सौंपा। धरना में‌ बेंगू ठाकुर, भवानी बंदोपाध्याय, रीना मंडल, पिया बनर्जी, बबीता कुमारी,

बुलु दास, सुजीत रंजन,  विश्वनाथ घोष, देवाशीष चटर्जी, पीएस दत्ता आदि शामिल थे।

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