शीत लहर से बचने को बरतें सावधानी : नमन प्रियेश लकड़ा

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी नमन प्रियेश लकड़ा ने बताया कि शीत लहर से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियों हेतु सुझाव एवं दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उक्त के आलोक में बढ़ते ठंड एवं शीतलहर को देखते हुए जिला स्तर/स्थानीय पर निम्न सावधानियां बरतनी आवश्यक है। यह अवश्य करें जरूरत न हो तो ठंड में बाहर निकलने से बचें (विशेषकर वृद्ध एवं बच्चे )।पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें।दस्ताने, जूते, मोजे, टोपी अथवा मफलर का इस्तेमाल करें। आँखों को ठंड से बचाने के लिए बाहर निकलते समय चश्मे का इस्तेमाल करें। कमरे को गर्म रखने के लिए घर में हीटर, ब्लोअर इत्यादि का प्रयोग सावधानी व सतर्कता के साथ करें।

पर्याप्त भोजन कर बाहर निकलें। यथासंभव गर्म एवं गुनगुना पानी पीयें। ठंडा खाना खाने एवं ठंडा पेय पदार्थ पीने से बचें।उच्च कैलोरी वाले भोज्य पदार्थ का सेवन करें।

ठंड में बच्चों का विषेश ध्यान रखें। बच्चें को ठंडी हवा से बचाएं एवं अधिक देर ठंड में न रहने दें ।

बच्चों के सर, गला, छाती तथा हाथ-पाँव को अच्छी तरह से ढंक कर रखें। बच्चों को एक के ऊपर एक गर्म कपड़े पहनायें यह उन्हें गर्म रखेगा।बच्चों के तापमान की जाँच करते रहें।अत्यधिक कंपकपी, बार-बार उल्टी या मतली होने पर, सुस्ती अथवा मुर्छित होने पर तुरन्त डॉक्टर से सलाह लें। शीत लहर प्रबंधन हेतु निम्नलिखित बातों को ध्यान रखा जाय ताकि शीत लहर की आपदा के समय होने वाली बीमारियों एवं प्राकृतिक विपदा से जन-समुदाय को सुरक्षित रखा सके।जन सामान्य के लिए सलाह आपातकालीन समय के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ, पानी, ईंधन, बैटरी, इमरजेंसी लाईट एवं आवश्यक दवाईयां तैयार रखें। शीत लहर के समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाता है। जैसे- फ्लू चलना, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं या चिकित्सक से संपर्क करें।नियमित रूप से गर्म पानी पीते रहे।अल्प तापवस्था के लक्षण जैसे सामान्य से कम शरीर का तापमान न रुकने कपकपी, याददाश्त चले जाना, बेहोशी या मूर्छा की अवस्था हो जाना, जबा लड़खड़ाना आदि प्रकट होने पर उचित इलाज के लिए निकटतम स्वास्थ्य केन सम्पर्क स्थापित करे।

पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे- दस्ताने, टोपी, मफलर एवं जूते आदि पहने। शीतलहर के समय चुस्त कपड़े ना पहने यह रक्त संचार को कम करते हैं। इसीलिए हल्के ढीले-ढाले एवं सूती कपड़े बाहर की तरफ एवं ऊनी कपड़े अंदर की तरफ पहने।

शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अति आवश्यक हो तो बाहर यात्रा करें। कोविड-19 एवं अन्य श्वसन संक्रमण से बचने के लिए बाहर जाने पर अनिवार्य रूप से मास्क अवश्य पहनें।पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें। शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ अवश्य पीयें।

अत्यधिक ठंड के समय दीर्घकालीन बीमारियों जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्ध पुरुष / महिलायें जिनकी आयु 64 वर्ष से अधिक, 06 वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि को ऐसी स्थिति में देखभाल करें। अधिक ठंड पड़ने पर पर्याप्त वेंटिलेशन होने पर ही रूम हीटर का उपयोग सावधानी एवं सतर्कता के साथ करें। बंद कमरे गर्म करने के लिए कोयले का उपयोग ना करें। कारण कोयला जलने पर कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इससे किसी की भी मृत्यु हो सकती है।

अधिक ठंड पड़ने पर जहां तक संभव हो सके, पालतू जानवरों को घर के अंदर ही रखें।

अत्यधिक ठंड पड़ने से प्रभावित शरीर के हिस्से पर मालिश ना करे इससे अधिक नुकसान पड़ सकता है।शीत लहर में अधिक ठंड के लम्बे समय तक सम्पर्क में रहने से त्वचा कठोर एवं सुन्न कर सकती है। शरीर के अंगों जैसे- हाथ / पैर की उंगलियों, नाक एवं कान में लाल फफोले हो सकते हैं। शरीर के भाग के मृत हो जाने पर त्वचा का लाल रंग बदलकर काला हो सकता है। यह बहुत खतरनाक है। यह बहुत खतरनाक है और गैंग्रीन रोग कहा जाता है। इसके लिए तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें।शीत लहर के संपर्क में आने से फ्रोस्टबाइट (Frostbite) एवं हाइपोथर्मिया (Hypothermia) बीमारी हो सकती है। शीत लहर के संपर्क में आने से फ्रोस्टबाइट (Frostbite) होने पर शरीर के अंगों जैसे हाथ-पैर की उंगलियां सुन्न हो जाना, नाक एवं कान की त्वचा का रंग सफेद एवं पीला हो जाना आदि लक्षण पाये जाने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें।शीत लहर के संपर्क में आने से (Hypothermia) होने पर शरीर के तापमान में कमी आ सकती है, जिसके कारण बोलने में कठिनाई, नींद न आना, मांसपेशियों का सुचारू रूप से कार्य न करना, सांस लेने में कठिनाई आदि लक्षण पाये जाने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें।

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