राजधनवार में ईद-उल-अजहा का नमाज अदा कर सौहार्द के वातावरण में मन रहा बकरीद

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राजधनवार में ईद-उल-अजहा का नमाज अदा कर सौहार्द के वातावरण में मन रहा बकरीद
डीजे न्यूज, राजधनवार, गिरिडीह : त्याग व बलिदान का त्योहार ईद-उल-अजहा पूरे राजधनवार अनुमंडल क्षेत्र में आपसी भाईचारे व सौहार्द के बीच शांतिपूर्ण वातावरण में मनाया जा रहा है। सुबह लोगों ने ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की और एक दूसरे के गले मिल कर मुबारकबाद दी। बकरीद के कारण ईदगाहों में नमाज के बाद मेले जैसा नजारा रहा। खोरीमहुआ अनुमंडल क्षेत्र के खोरीमहुआ, राजधनवार,घोडथम्भा, बल्हारा ,गलवाती,करगाली खुर्द ,तारानाखो समेत विभिन्न ईदगाहों और मस्जिदों में भी ईद उल अजहा की नमाज अदा की गई। पर्व को लेकर शांति व्यवस्था कायम करने को लेकर सभी ईदगाहों एवं चोक चौराहों पर प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था किया था। सभी ईदगाहों एवं अन्य जगहों पर कहीं कोई अप्रिय घटना ना हो इस बात को लेकर मजिस्ट्रेट के देख-रेख में पुलिस बल को लगाया गया था। इस्लामी त्योहार में दो पर्व को ईद के नाम से जाना जाता है। एक ईद- उल-फितर, जो रमजान का पूरा रोजा रखने के बाद शुकराने के तौर पर मनाई जाती है और दूसरा ईद-उल-अजहा, जो ईद के करीब दो माह बाद मनाई जाती है। ईद-उल अहजा में शुकराने नमाज के बाद हजरत इब्राहिम के तरीकों पर कुर्बानी की यादगार के तौर पर खुदा के नाम पर बकरे की कुर्बानी करनी होती है। बताया जाता है कि करीब पांच हजार वर्ष से करोड़ों मुसलमान इस घटना चक्र को यादगार के रूप मे मनाते चले आ रहे है। अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को हुक्म दिया कि तुम अपनी सबसे प्यारी चीज को मेरी राह में कुर्बान करो, तो इस हुक्म के बाद हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माईल को अल्लाह की राह में कुर्बान करना चाहा। मगर छुरी इस्माईल के गर्दन को न काट सकी। इसी घटना को विश्व भर के मुसलमान कुर्बानी के तौर पर याद करते हैं। पैगम्बर मुहम्मद ने फरमाया कि कुर्बानी करने से अल्लाह की नजदीकी हासिल होती है। यही वह कुर्बानी है जो यादगार के तौर पर की जाती है। इसी यादगार को ताजा करने के लिए मुस्लिम मतावलंबी कीमती से कीमती बकरे खरीद कर कुर्बानी करते हैं।

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