सभी समुदाय की पिछड़ी जातियों को एकजुट होकर लड़ना होगा : प्रो. भूषण

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डीजेन्यूज, गुमला : हिंदू मुस्लिम समुदाय के सभी पिछड़ी जातियों को संगठित होकर ओबीसी की लड़ाई लड़नी होगी। यह बातें गुमला जिला ओबीसी मोर्चा के संयोजक प्रो. भूषण महतो ने कही है। वह झारखंड विधानसभा के क्लब भवन रांची में पूर्व ऊर्जा मंत्री लालचंद महता की अध्यक्षता में हुई बैठक में भाग लेकर गुमला लौटने के बाद देवभूमि झारखंड न्यूज से बातचीत में यह यह बातें कहीं। प्रो. महतो ने बताया क ओबीसी आरक्षण के संगठन की मजबूती को लेकर झारखंड के सभी जिलों के हिंदू मुस्लिम उप जातियों की एक महत्वपूर्ण बैठक रांची में हुई थी। प्रो. महतो एवं उनके साथ कुशवाहा समाज के गुमला जिला अध्यक्ष राजेश खन्ना व अजीत विश्वकर्मा ने बताया कि इस मौके पर ओबीसी आरक्षण के संबंध में अपने अपने विचार रखने का मौका हम लोगों को भी मिला। तीनों नेताओं ने कहा कि जब तक सभी हिंदू, मुसलमान मिलकर एक साथ आवाज नहीं उठाएंगे और आंदोलन चरणबद्ध नहीं करेंगे तब तक सरकार से सुनवाई नहीं होने वाली है।
60 प्रतिशत आबादी झारखंड में होने के बावजूद ओबीसी समाज को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा संगठित नहीं होने देने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। इसे समझने की आवश्यकता है। कई पिछड़ी जाति के लोग अपने आप को आदिवासी की श्रेणी में शामिल होना चाहते हैं तो कोई ओबीसी की बात करते हैं ।कुर्मी एवं तेली जाति के लोग आदिवासी की श्रेणी में लाने की बात करते हैं। इस तरह कैसे हमारा ओबीसी समाज संगठित होगा। प्रो. महतो ने कहा कि पहले जो हमें संवैधानिक अधिकार प्राप्त है उसे हम प्राप्त पहले कर लें। फिर हम सब अपनी अपनी बात करें। झारखंड के जिन जिलों में ओबीसी आरक्षण की नियुक्ति में शून्य कर दिया गया है उसे अविलंब सुधार करने के पश्चात ही सरकार कोई नीति तय करे। इस पर मोर्चा गंभीरता से विचार करे। कौन सी कार्रवाई की जाए जिससे मुस्लिम, हिंदू की ओबीसी की उप जातियों के युवक-युवतियों को नियुक्तियों में संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की और जाते हैं उसका निश्चित भी हाथ से चला जाता है। 60 प्रतिशवाले आबादी वाले ओबीसी जातियों को इस संबंध में आपसी भेदभाव भूल कर संगठित होकर आंदोलन करने की जरूरत है। रांची में लालचंद महतो की अध्यक्षता में की गई बैठक आज के परिवेश में बहुत ही महत्वपूर्ण कही जा सकती है। जो भी सरकार वर्तमान में है वह पिछड़ों को संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं कर सकती।

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