अविनाश पांडेय का एक्शन प्लान तैयार, कांग्रेस को मिलेगी संजीवनी
डीजे न्यूज डेस्क, रांची :
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय ने प्रभारी बनते ही झारखंड में लोकसभा व विधानसभा चुनाव 2024 के लिए बिसात बिछा दी है। उन्होंने झारखंड में कांग्रेस के लिए एक्शन प्लान दिया है। पांडेय के इस प्लान के जरिए झारखंड में कांग्रेस के खोये हुए सियासी जनाधार को वापस लाने एवं नई संजीवनी देने की जद्दोजहद
शुरू हो गई है। इस रोडमैप के जरिए कांग्रेस 2024 के चुनाव में परचम लहराने का सपना देख रही है। सूबे के कांग्रेसी इस रोडमैप पर कितनी ईमानदारी से काम करते हैं, इसी पर पार्टी की सफलता निर्भर करेगी। धनबाद, गिरिडीह, रामगढ़, हजारीबाग समेत कई जिलों के कांग्रेस के जमीनी कैडरों ने देवभूमि झारखंड न्यूज को बताया कि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने जो प्लान बनाया है, उस पर प्रदेश में कांग्रेस की पूरी टीम एकजुट होकर जी-जान से लग गई है। निश्चित रूप से इस एक्शन प्लान पर चलकर कांग्रेस झारखंड में भाजपा को लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त देगी।
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पांडेय का एक्शन प्लान, समन्वय और संवाद :
अविनाश पांडेय ने जो एक्शन प्लान तैयार किया है, उसका मूल मंत्र है समन्वय और संवाद। गुटबाजी के लिए चर्चित झारखंड कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति बनाई गई है। विभिन्न गुटों में बंटे सूबे के नेताओं को एकजुट करने की मुहिम शुरू कर दी गई है। नेताओं को यह समझा दिया गया है कि गुटबाजी से नहीं उबरे तो कांग्रेस को मजबूत करने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता। सूबे के सभी जिलों में कांग्रेस के संयोजकों की नियुक्ति की गई है। इस नियुक्ति में सभी वर्गों व गुटों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। कांग्रेस को कैडर आधारित पार्टी नहीं माना जाता है। जमीनी कैडरों की बात सुनने की परिपाटी कांग्रेस में नहीं रही है। इस कारण जमीनी कैडर धीरे-धीरे पार्टी से दूर होते गए। आरपीएन सिंह के प्रदेश प्रभारी के कार्यकाल में तो जमीनी कैडर खुद को अपमानित महसूस
करते थे। उनकी बातें सुनी नहीं
जाती थी। पांडेय ने संवाद कार्यक्रम के जरिए जमीनी कैडरों से सीधा संपर्क साधा। प्रखंड स्तर से लेकर प्रदेश स्तर पर संवाद कार्यक्रम किया जा रहा है।
संवाद कार्यक्रम से जमीनी कार्यकर्ताओं की बातों को सीधे प्रदेश प्रभारी पांडेय सुन रहे हैं। जिला एवं प्रदेश स्तर के नेता मुख्यालय से बाहर नहीं निकलते थे। ऐसे नेताओं को अब क्षेत्र में जाकर पसीना बहाना पड़ रहा है। प्रभारी बनने के साथ ही उन्होंने झारखंड में कांग्रेस को जमीन पर उतार दिया है। सूबे में कांग्रेस की जमीनी हकीकत को पांडेय ने समझा है। यही कारण है कि उन्होंने एकला चलो रे के पार्टी के कुछ नेताओं के फार्मूले को नकार दिया है। झामुमो के साथ गठबंधन बरकरार रखते हुए कांग्रेस को पुराने दिनों में लौटाने का उनका मिशन है। वैसे पांडेय की यह मुहिम बहुत आसान नहीं है। वह भी तब जब जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ नेता ही उनकी मुहिम व कांग्रेस की जड़ को खोदने में लगे हैं।