कुड़मी हितों की रक्षा सिर्फ कांग्रेस कर सकती : अनुपमा
कुड़मी हितों की रक्षा सिर्फ कांग्रेस कर सकती : अनुपमा
समाज हित में एकजुट हो कुड़मी समाज, स्वाभिमान को चोट पहुंचाने वाले को चुनाव में दें जवाब
डीजे न्यूज, धनबाद : अखिल झारखंड टोटेमिक कुड़मी/कुरमी समाज की बैठक को संबोधित करते हुए धनबाद संसदीय क्षेत्र के इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार अनुपमा सिंह ने कहा कि कुड़मी हितों की रक्षा सिर्फ कांग्रेस पार्टी कर सकती है। इसलिए कुड़मी समाज को कांग्रेस को समर्थन देना चाहिए। उन्होंने कुड़मी समाज से समाजहित में एकजुट होने की भी अपील की।
उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज सबकुछ भुलाकर अपने स्वाभिमान व कुड़मिहित के लिए एक हो जाए। हम कैसे भुला सकते हैं कि
कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कुड़मी को एसटी सूची में सूचिबद्ध करने के लिए लोकसभा में आवाज उठाया था। झारखण्ड अलग राज्य निर्माण के लिए 1989 में राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में पूर्वोत्तर क्षेत्रों में कई छोटे राज्यों के गठन कर झारखण्ड अलग राज्य निर्माण की लम्बी मांगों को गम्भीरता से लिया था। झारखण्ड अलग राज्य निर्माण के लिए “द मेंटर्स आफ झारखण्ड” कमिटी गठित कर रिपोर्ट मांगें, जिससे झारखण्ड राज्य निर्माण का रास्ता खुला। उसी कमिटी ने कुड़मी जनजाति को गैर सरकारी जनजाति होने का रिपोर्ट भी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सौंपा, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि रिपोर्ट के बाद वो हमारे बीच जीवित नहीं रहे। आतंकवादियों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। बोकारो हवाई अड्डा का नामाकरण बिनोद बाबू के नाम से करने के लिए वर्षों से कुड़मी समाज आंदोलन कर रहा है। विनोद बाबू का नाम पहले से हवाई अड्डा के मुख्य द्वार पर लगा है। उनका नाम भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो बदलवाना चाहते हैं।
इसलिए सावधान हो जाइए। कुड़मी समाज के स्वाभिमान पर चोट करने वाले और चुनौती देनेवाले को इस चुनाव में जवाब दें। ढुलू महतो से कुड़मी समाज जानना चाहता है कि कितने बार सदन में कुड़मी को एसटी का दर्जा दिलाने के लिए आवाज उठाई। कुड़मी समाज यह भी जानना चाहता है कि पुटकी कच्छी बलिहारी के कुड़मी वेटी अपनी जमीन और पिता की नौकरी बचाने के लिए बीसीसीएल पीबी एरिया से न्याय नहीं मिलने से अपनी प्राणों की आहुति बीसीसीएल कार्यालय में दे दी, उसके मौत के जिम्मेवार दोषी अधिकारियों को सजा दिलाने में उदासीनता क्यों दिखाई। जब झारखण्ड में पिछडी जातियों के आरक्षण को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत किया गया तो पिछडों के लिए आज तक एकबार भी आवाज नहीं उठाई।