कृषि के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य एवं उद्यान भी किसानों के लिए आवश्यक

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कृषि के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य एवं उद्यान भी किसानों के लिए आवश्यक

जलवायु परिवर्तन के कारण किसान धान पर बहुत ध्यान न देकर दलहन एवं तेलहन पर ध्यान दे तो अधिक लाभप्रद होगा

जिला स्तरीय खरीफ कार्यशाला में विशेषज्ञों ने किसानों को दिए टिप्स 

डीजे न्यूज, गिरिडीह : अनुमंडलीय कृषि प्रक्षेत्र पचम्बा में शनिवार को जिला स्तरीय खरीफ कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिला कृषि पदाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने गिरिडीह में खरीफ फसल में जिला का फसलवार लक्ष्य बताया गया। गिरिडीह जिले में धान 88000 हेक्टेयर, मक्का 21300 हे०, दलहन 19500 हे०, तेलहन 1090 हे० एवं मोटा अनाज 1810 हे० निर्धारित है। इसका प्रखण्डवार भी लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि खरीफ मौसम में लगने वाले फसल समय पर लगाने एवं खरीफ फसल में होने वाले समस्या दूर करने एवं फसलवार लक्ष्य पूरा करने के लिए सभी प्रसार कर्मी के साथ साथ किसानों को जागरुक होना आवश्यक है। कृषि के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य एवं उद्यान भी किसानों के लिए आवश्यक है। यहाँ पर सभी कृषि सम्बद्ध विभाग के पदाधिकारी उपस्थित हैं। किसानों के लिए सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी उपस्थित पदाधिकारी द्वारा दी गई।

एलडीएम ने केसीसी के माध्यम से किसान किस प्रकार लाभ ले सकते हैं इसकी जानकारी।

जिला सहकारिता पदाधिकारी ने बताया कि ग्राम पंचायत के लैम्प्स/पैक्स में अनुदानित दर धान बीज उपलब्ध कराया गया है। वर्तमान में सभी ग्राम पंचायत में लैम्प्स/पैक्स की स्थिति मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है। यह भी जानकारी दी गई कि लैम्प्स/पैक्स के माध्यम से जल्द ही सीएससी सेंटर का भी संचालन किया जाएगा।

कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी आकाश सिन्हा ने खरीफ मौसम में लगने वाले फसल के

स्वास्थ्य के लिए बीज उपचार कर फसल लगाने, फसल में कीडा ब्याधि का प्रकोप होने पर कम जहरीला रसायन का प्रयोग संभव हो तो नीम कीटनाशी का प्रयोग करने कहा। साथ ही साथ जैविक खेती या प्रकृतिक खेती कर भी किसान अच्छा उत्पादन कर सकते हैं।

जिला गब्य विकास पदाधिकारी ने गिरिडीह जिले में गब्य विभाग द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं यथा 2, 5 एवं 10 गाय किस किसान को कितने अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा विस्तार पूर्वक जानकारी दी। इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा पशुपालन सेड, चारा मशीन, प्रशिक्षण ग्राम स्तर पर, आवासीय प्रशिक्षण, दो महीने एवं एक वर्ष का प्रशिक्षण कार्यकम भी कराया जाता है। योजना का लाभ नियमानुसार प्रखण्ड से आवेदन जिला में आने पर जिला स्तरीय कमिटी द्वारा स्वीकृत के उपरांत लाभान्वित किया जाता है।

जिला उद्यान पदाधिकारी बरुन कुमार ने उद्यान विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बताया। राज्य बागवानी मिशन एवं गैर बागवानी मिशन योजना के तहत् किसानों से आवेदन विज्ञापान के माध्यम से आमंत्रित कर सब्जी बीज, मशाला बीज, फूल का पौधा एवं बीज, पॉली हाउस, ऐन्टी बर्ड नेट, वर्मी कम्पोस्ट, कोल्ड स्टोरेज, प्लास्टिक मल्चिंग इच्दादि उपलब्ध कराया जाता है।

कहा कि किसान उँचा जमीन में मक्का, रागी एवं सब्जी लगाएँ तथा धान श्री विधि से लगाएँ।

जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि जहाँ देखे पानी वहाँ पाले मछली रानी पर विशेष चर्चा करते हुए मछली से लाभ के वारे में बताया गया कि मछली पालन हेतु विभाग से बहुत सारी सुविधा मत्स्य किसानों के लिए उपलब्ध है। इसमें अंडा, जीरा, फिंगर लींग, छोटा हो या बढा मछली सभी तरह का लाभ इस किसान को मिलते रहता है। कोई इंतजार नहीं करना पड़ता है। इसमें जो देसी विधि से मछली पालन करते है, उनको कम लाभ मिलता है जो वैज्ञानिक विधि से करते हैं उनको अधिक लाभ मिलता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डा० पंकज सेठ द्वारा किसानों को इ.एम.आई. पर चर्चा करते हुए बताया गया कि किसानोंं को अर्ली मन्थली इनकम जेनरेट सुनिश्चित करना चाहिए। जलवायु परिवर्तन हो रहा है, इसलिए किसान धान के उपर बहुत ध्यान न देकर दलहन एवं तेलहन पर ध्यान दे तो अधिक लाभप्रद होगा। अभी भी भारत दलहन एवं तेलहन आयात पर ही निर्भर है। गिरिडीह जिला में दलहन एवं तेलहन उत्पादन की काफी संभावना है। इसके अतिरिक्त किसानों को इन्टर कापिंग करना चाहिए जैसे मक्का एवं अरहर या रागी एवं बरब‌ट्टी। मसाले की खेती में हल्दी (राजेन्द्र सोनियों), ओल (गजेन्द्र ओल), अदरख जीरा, सौफ की खेती पर भी ध्यान देना चाहिए। कोई अधिक फसल का उत्पादन हो रहा हो तो उसका प्रोडक्ट तैयार कर बिकी करने से अधिक लाभ होगा। इसका प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र में आयाजित होता रहता है। किसान आकर लाभ ले सकते हैं।

डीडीएम नाबार्ड ने बताया कि देश में खाद्यान उत्पादन पूर्ति हेतु राज्य, जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर फसलवार लक्ष्य निर्धारित कर कार्यशाला के माध्यम से लक्ष्य पूरा करने का हरसंभव प्रयास किया जाता है। उन्होंने किसानों के लिए चलाई जा रही मुख्य मुख्य योजनाओं की जानकारी दी। गिरिडीह जिला में कुल 24 से 30 कृषक उत्पादक संगठन कार्य कर रहा है। इस संगठन से जुडकर भी किसान बहुत सारी लाभ ले सकते हैं। कृषक उत्पादक संगठन कैसे बनता है, क्या कार्य करता है, सरकार क्या सुविधा दे रही है सभी बातों को बताया गया। कृषि अवसंरचना कोष, इनाम बाजार, ओएनडीसी योजनाओं के वारे में बताया गया। साथ ही साथ कोई भी किसान यदि कोई बड़ा कृषि आधारित उद्यम करना चाहते हैं तो उनको दो करोड़ तक का लोन बैंक उपलब्ध कैसे कराती है। इसमें ब्याज दर भी कम है, छूट भी है और टॉपअप योजना भी कर सकते हैं।

कार्यशाला का संचालन रमेश कुमार बीटीएम ने किया गया। इसमें कृषि विभाग तथा आत्मा के सभी कर्मचारी, प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधक, प्रभारी प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी, कृषक मित्र जनसेवक तथा कृषक पाठशाला एवं एग्रीक्लीनिक के कर्मी के साथ-साथ प्रगतिशील कृषकों समेत लगभग 85 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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