सत्य, अहिंसा व राष्ट्रप्रेम पर चलने के वादा के साथ जेल से रिहा हुआ हत्या का सजायाफ्ता बंदी

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : अपराध परिस्थिति वश होता है।कोई व्यक्ति जन्मजात अपराधी नही होता है, पर उसके किए गए अनैतिक कार्य जो अपराध की श्रेणी का हो दोषी बना देता है। अच्छे व्यवहार और अनुशासित रहने का तरीका उसे एक बार सामान्य जीवन जीने का अवसर देता है। ऐसा ही कुछ कहानी हत्या के सज़ावार बंदी अगस्तुस बेक की है।उसके अच्छे व्यवहार और जेल में अनुशासित रहने के कारण सजा माफ कर शुक्रवार को रिहा किया गया। गिरिडीह सेंट्रल जेल में सजा पुनरीक्षण पर्षद के अनुसंशा पर अगस्तुस बेक को रिहा किया गया।इसे लेकर सेंट्रल जेल में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।जेलर प्रमोद कुमार ने सज़ावार बंदी अगस्तुस बेक को प्रशस्ति पत्र और फूलमाला पहनाकर जेल से रिहा किया। जेल में अनुशासित जीवन बिताने वाले अगस्तुस ने जेल से बाहर निकलने के बाद एक सभ्य नागरिक बनने का वादा किया है।अपने दिए शपथ पत्र में अगस्तुस ने कहा है कि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्श पर चलकर राष्ट्र प्रेम का अनुकरण करते हुए सरकार की हर अपेक्षा पर खरा उतरेगा। अपने परिवार,समाज के सभी दायित्वों का निर्वहन करेगा। कोई ऐसा कार्य नहीं करेगा जो कानून और समाज के नजरों में गलत हो।जेल से बाहर निकलने के बाद कभी भी किसी प्रकार के अपराध में शामिल नही रहेगा। गुमला के बिशनपुर थाना क्षेत्र के चाटम का रहने वाला अगस्तुस साल 2004 में हत्या के मामले में आरोपित बनाया गया था।न्यायालय में केस चलने के बाद उसे हत्याकांड का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।अगस्तुस को गुमला से प्रसाशनिक दृटिकोण से गिरिडीह सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया था।इधर नालसा और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य के सभी जेल में सज़ावार बंदियो का सर्वे किया जा रहा है। बंदियों के सजा की अवधि उसके आचरण में सुधार और बाहर निकलकर समाज और देश के प्रति अच्छे कार्य करने के जज्बा को देखते हुए राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद अनुसंशा कर रही है।इसी आलोक में अगस्तुस बेक को फिर से नया जीवन जीने का मौका दिया गया।

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