झारखंड में हॉर्स ट्रेडिंग को दिया जा रहा बढ़ावा : सालखन मुर्मू

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डीजे न्यूज, रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि
झारखंड में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में भारत चुनाव आयोग, झारखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री संबंधित पक्ष हैं। इनके अलावा झारखंड की जनता सर्वाधिक बड़ी स्टेकहोल्डर है। जो भी फैसला होगा उसका सीधा प्रभाव जनता और जनतंत्र पर पड़ता है। अतः 30 दिनों से लंबित यह मामला जनहित और जनतंत्र हित के खिलाफ है। संवैधानिक पदों की गरिमा और पवित्रता को भी सशंकित करता है, कलंकित करता है। अत: मामला अब अंदरूनी और तीन पक्षों के बीच का नहीं है। इसे जन और जनतंत्र हित में सार्वजनिक होना जरूरी है। यदि और कई महीनों तक यथास्थिति रही तो शासनतंत्र पंगु हो सकता है। जवाब मांगने पर प्रिविलेज कम्युनिकेशन के नाम पर मुख्यमंत्री को भारत चुनाव आयोग द्वारा टरका देना चुनी हुई विधायिका का अपमान है। अतः हाईकोर्ट को स्वत: संज्ञान लेने पर विचार करना लाज़िमी है। यही हाल झारखंड के स्पीकर का भी है। संवैधानिक पद का राजनीतिकरण जारी है। इसके पूर्व के स्पीकर ने भी भाजपा में शामिल हुए विधायकों को 5 साल तक बचाने का काम किया। राज्यपाल रमेश बैस के ऊपर हेमंत सरकार को लटका कर रखने के साथ हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देने का आरोप स्वभाविक बनता है। इसका ट्रेलर चल चुका है। झारखंड जहां अधिकांश नेताओं के भ्रष्टाचार से त्रस्त है तो अब संवैधानिक पदों से भी जनता यदि नाउम्मीद हो जाए तो जनतंत्र पर विश्वास को कायम रखना निश्चित कठिन है।

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