डीसी ने कुत्ते से की डॉक्टर की तुलना, मचा बवाल

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डीजे न्यूज, साहिबगंज :
डीसी ने जिले के एक डॉक्टर की तुलना कुत्ते से कर दी। इससे बवाल मच गया है। सरकारी चिकित्सकों ने शनिवार से अनिश्चितकाल के लिए सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी सेवा ठप कर दी। ओपीडी ठप होने से मरीजों को काफी परेशानी हुई। बिना इलाज के ही उन्हें लौटना पड़ा। सदर अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रत्येक दिन 1400 से अधिक मरीजों का इलाज ओपीडी में किया जाता है जो शनिवार को नहीं हुआ। चिकित्सकों ने काला बिल्ला बिल्ला लगाकर सदर अस्पताल में प्रदर्शन भी किया। चिकित्सकों का कहना था कि जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डा. बुद्धदेव मुर्मू का निलंबन वापस नहीं होता है तब तक वे लोग आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। गौरतलब हो कि उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना के आरोप में विभाग ने चार जुलाई को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डा. बुद्धदेव मुर्मू को निलंबित कर दिया था। इस आदेश की कापी दो-तीन दिन पूर्व ही संबंधित चिकित्सक को मिली। उन्होंने आइएमए व झासा को मामले से अवगत कराया। मामले पर विचार करने के लिए शुक्रवार की शाम सदर अस्पताल के वेयर हाउस में आइएमए व झासा की बैठक हुई। इसमें अनुमंडल अस्पताल राजमहल के उपाधीक्षक डा. उदय टुडू ने बताया कि चार जुलाई को कलेक्ट्रेट के सभागार में हुई बैठक में उपायुक्त रामनिवास यादव ने उनकी तुलना कुत्ते से कर दी। चिकित्सकों को उन्होंने बताया कि डीसी ने उन्हें कहा कि पैसा तो कुत्ता भी कमाता है। इससे वह काफी आहत हुए। बैठक में राजमहल के आयुष चिकित्सक डा. जुल्फीकार रहमान पर पिछले दिनों प्राथमिकी दर्ज कराने का मामला भी उठा। चिकित्सकों को कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी चिकित्सक पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी जा सकती है। इसके बाद भी डा. जुल्फीकार रहमान पर प्राथमिकी दर्ज करा दी गई। इधर उपायुक्त रामनिवास यादव ने चिकित्सक द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि मीटिंग में उन्होंने चिकित्सक को डांटा जरूर था लेकिन किसी तरह का अपशब्द नहीं कहा था। कहा कि पिछले दिनों राजमहल अनुमंडल अस्पताल में एक बच्ची को इलाज के लिए लाया गया था। वह चलकर वहां आयी थी लेकिन दवा देने के बाद उसकी मौत हो गयी थी। वहां तैनात आयुष चिकित्सक डा. जुल्फीकार रहमान ने उसे एलोपैथी दवा दी थी। आरोप था कि गलत इलाज की वजह से बच्ची की मौत हुई है। आयुष चिकित्सक को ओपीडी में बैठकी एलोपैथी इलाज करने का भी अधिकार नहीं है। इसी वजह से उन्होंने उसे डांटा था। अक्सर चिकित्सक ड्यूटी से गायब रहते हैं। कई लोगों के खिलाफ हाल में कार्रवाई हुई है जिससे बचाने के लिए चिकित्सक आंदोलन कर रहे हैं।

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