पत्रकारिता के लिए आजादी के पूर्व का दौर जोखिम भरा था : राकेश सिन्हा
डीजे न्यूज, गिरिडीह : गिरिडीह कॉलेज गिरिडीह के एनएसएस की इकाई एक द्वारा सामुदायिक भवन, सिहोडीह में चल रहे एनएसएस के शिविर का शुक्रवार को चौथा दिन था। यह शिविर आजादी का अमृत महोत्सव से संदर्भित है। आज का कार्यक्रम भी दो सेशन में था। पहला सेशन साफ सफाई और पौधारोपण का था तो दूसरा सेशन ‘हिंदी पत्रकारिता और भारत का स्वतंत्रता संग्राम’ विषय पर वार्ता केंद्रित था।
उक्त वार्ता केंद्रित कार्यक्रम में मुख्य वार्ताकार थे दैनिक प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ राकेश कुमार सिन्हा और पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता श्री प्रभाकर। पहले सेशन के दरम्यान स्वयंसेवकों ने सिहोडीह की एक गली में झाड़ू लगाया और कुछ दुकानदारों से पॉलिथीन से परहेज करने की भी अपील की। पौधारोपण के लिए स्थानीय वार्ड पार्षद ने स्थल चयन में सहयोग किया। दूसरे सेशन के मुख्य वार्ताकार राकेश सिन्हा ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम के समय की हिंदी पत्रकारिता पर बात के क्रम में कहा कि तत्कालीन ऐतिहासिक परिस्थितियों में हिंदी पत्रकारिता के समक्ष कई तरह की मुश्किलें और चुनौतियां थीं। उनसे दो चार होते हुए देश के लोगों से संवाद की आवश्यकता को महसूस करते हुए हिंदी पत्रकारिता आगे बढ़ती है। बहुत जोखिम भरा वह दौर था। उन्होंने उस समय के कई महत्वपूर्ण अखबारों एवं उनमें प्रकाशित होने वाले विषयों, चिंताओं आदि पर भी फोकस किया। उन्होंने अकबर इलाहाबादी का एक शेर ‘जब तोप मुखालिफ हो तो अखबार निकालो’ उद्धृत करते हुए अखबार और पत्रकारिता की आवश्यकता पर फोकस किया। प्रभाकर ने कहा कि पत्रकारिता का इतिहास बड़ा रोचक है। जब साधन के रूप में कुछ नहीं था, तब आजादी के जज्बे ने लोगों को आपस में व्यवस्थित संवाद के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज का हर युवा एक सामाजिक पत्रकार है। प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. बलभद्र सिंह ने दोनों मुख्य अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें इस आयोजन के लक्ष्य और रूपरेखा की जानकारी दी। इस सत्र में मनीषा कुमारी, नयन कुमारी, जूही आफरीन, नीतीश कुमार ने अपने प्रश्नों से सत्र को आकर्षक और परस्पर संवादी बनाया। इस आयोजन में डॉ. प्रभात कृष्ण, डॉ. पी एम पाठक,रंधीर कुमार वर्मा, वार्ड पार्षद अशोक राम सहित अनेक स्वयंसेवक शामिल रहे।