मर्यादा श्रृंगार, संस्कार आभूषण, सत्कर्म मुक्ति है: सुरेंद्र हरीदास
मर्यादा श्रृंगार, संस्कार आभूषण, सत्कर्म मुक्ति है: सुरेंद्र हरीदास
डीजे न्यूज, कतरास, धनबाद : भंडारीडीह स्थित दुःखहरण मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रहे भागवत कथा के अंतिम दिन बुधवार को कथावाचक सुरेंद्र हरीदास ने कहा कि अगर व्यक्ति मर्यादाओं में न रहे तो वह अपना ही नहीं सब का नाश कर देता है। हमारी मर्यादा ही हमारा श्रृंगार है, हमारे संस्कार ही हमारे आभूषण हैं और सत्कर्म ही हमारी मुक्ति है। संस्कार विहीन व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता है। वह व्यक्ति चाहे कुछ भी प्राप्त कर लें पर कभी खुश नहीं रह सकता।कलयुग के युवक अपने अनुसार ही धर्म की परिभाषा बदलते है, यही उनके विनाश का कारण बनता है। आप भागवत श्रवण कर खुद को कलयुग के प्रकोप से बचा सकते हो। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रचार के तीन माध्यम हैं संत, ब्राह्मण और भगवान का मंदिर। लेकिन आज कल मनुष्य की श्रद्धा इनमें नहीं रही है।
उन्होंने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा श्रोताओं को श्रवण कराई। सफल बनाने में छोटू पासवान, किशोरी पासवान, ललित गुप्ता, सीताराम पासवान, योगेश पासवान, मुकेश सिंह, लक्ष्मण रवानी, रमेश भुईयां, उमेश सिंह, सुभाष पासवान, सुरेश पासवान, हेमन्त पासवान, अशोक पासवान, विनोद पासवान, महेश पासवान, मदन मोहन महतो, वीरेंद्र सिंह, बालक भुईयां, लीलावती सिन्हा, आशा देवी, उर्मिला देवी, सरिता देवी, विधा देवी, सविता देवी, बुलू देवी आदि सक्रिय थे।