तारीख पर तारीख, यहां पानी नहीं मिल रही तो बस तारीख
डीजेन्यूज डेस्क : बूंद-बूंद पानी के लिए त्राहिमाम कर रहे एक बड़ी आबादी को पिछले एक माह से पानी नहीं मिल रहा है, मिल रही है तो केवल तारीख। पीरटांड़ ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना के ठप होने से लगभग सात हजार की आबादी पेयजल की घोर किल्लत का समाना कर रही है। ऐसे में प्रतिदिन ग्रामीण पानी की गुहार लगा रहे हैं। समिति की ओर इन्हें आश्वासन दिया जाता है कि कल से पानी मिलना शुरू हो जायेगा। जलसमस्या का अंतिम दिन समझ कर किसी तरह समय बीता लेते हैं पर अगली सुबह फिर उन्हें पानी के बजाय मिलती है आश्वासनों की श्रृंखला की एक ओर कड़ी। आलम यह कि अब ग्रामीणों का समिति के उपर से विश्वास ही उठ गया है।
बताया जाता है कि ट्रांसफार्मर के क्वायल आदि चोरी चले जाने के बाद जलापूर्ति बंद हो गई। बीते एक सप्ताह से ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि ट्रांसफर्मर ठीक हो गया है अब जल्द ही पानी मिलेगा। पर हर एक नये दिन ग्रामीणों को नयी समस्या सुना दी जाती है। कभी बिजली नहीं होने की तो कभी कर्मचारी नहीं होने की।
उपभोक्ताओं में आक्रोश
नित नए बहानों से ग्रामीणों में आक्रोश उत्पन्न हो गया है। गुरूवार को भी जब पानी नहीं मिला तो सब्र का बंाध टूट गया। मुधबन निवासी सुजीत सिन्हा ने कहा कि यहां तो पानी के जगह केवल तारीख मिल रही है। जनता का सरकार, प्रशासन, समिति के पदाधिकारियों पर से विश्वास उठता जा रहा है। समिति को साफ-साफ बोल देना चहिए कि पानी नहीं मिलेगा जनता अपनी व्यवस्था खुद कर ले। वहीं नागेंद्र सिह कहना है कि अब तो समिति के पदाधिकारियों को कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। जनता की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं अभिष्ेाक सिन्हा बोलते हैं कि पानी के लिए तरस रहे आम जन के दर्द को नहीं समझना बहुत ही निंदनीय है।
फिर मिला है कल पानी मिलने आश्वासन
गुरूवार को निराश हुए ग्रामीणों को एक बार फिर कल यानी शुक्रवार को पानी मिलने का आश्वासन मिला है। बताया जाता रहा है बिजली की समस्या के कारण बराकर से पानी भेजा नहीं जा सका लिहाजा जलापूर्ति नहीं हुई। पर बिजली की समस्या को दूर कर कल आपूर्ति कर दी जायेगी। बहरहाल ग्रामीणों को पानी का इंतजार है। अब तो वक्त ही बतायेगा कि कल शुक्रवार को उन्हें क्या मिलता है पानी या फिर कोरा आश्वासन।
समिति का व्यवस्थित संचालन ही समाधान
जलापूर्ति योजना को करीब से समझनें वाले लोगों की मानें तो जब तक वर्तमान समिति चलती रहेगी जलापूर्ति का स्थायी समाधान नहीं होगा। समिति की कार्यशैली ही समस्या का सबसे बड़ा कारण है। आलम यह है कि समिति के अधिकारियों में ही आपसी समन्वय नहीं है । सभी मनमर्जी करते हैं। समस्याओं को गिनाने के बावजूद उस पर ध्यान नहीं दिया जाता है। ग्रामीण एक स्वर में समिति भंग कर नयी समिति का गठन करने की मांग कर रहे है। ग्रामीणों का मानना है नयी समिति गठित होते ही ससमय उपभोक्ताओं से जलकर संग्रह किया जाय तथा छोटी.माूेटी समस्याओं का तुंरत ठीक करा लिया जाय तो जलापूर्ति कभी ठप नहीे होगी।