शोषित, पीड़ित, असहायों के आवाज थे शक्तिनाथ महतो

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शोषित, पीड़ित, असहायों के आवाज थे शक्तिनाथ महतो

टाटा सिजुआ में शहादत दिवस गुरुवार को, तैयारी पूरी

डीजे न्यूज, सिजुआ, धनबाद : 28 नवंबर (गुरुवार) को शहीद शक्तिनाथ महतो का शहादत दिवस उनके पैतृक गांव तेतुलमुड़ी, कर्मस्थल तेतुलमारी के बैजकारटांड तथा समाधि स्थल टाटा सिजुआ बारह नंबर (आजाद सिजुआ) में  मनाया जाएगा। स्वजनों के अलावा विभिन्न राजनीतिक दल के नेता, समाजसेवी, बुद्धिजीवी सहित आमजन उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि देंगे। आइए जानते हैं कि कौन थे झारखंड के क्रांतिदुत के नाम से मशहूर शक्तिनाथ महतो।
==दो अगस्त 1948 को तेतुलमुड़ी बस्ती में किसान गणेश महतो व सधुवा देवी के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। दोनों ने बच्चे का नाम शक्तिनाथ महतो रखा। नाम के अनुरूप ही दूसरों को न्याय दिलाने के अंतिम क्षण तक संघर्ष करने वाले शक्ति ने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने तथा सूदखोरों के आतंक से गरीब, असहायों को मुक्त कराते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। गांधी स्मारक उच्च विद्यालय सिजुआ से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शक्ति ने आइटीआइ धनबाद में दाखिला लिया। कुमारधुबी में फीटर ट्रेड का प्रशिक्षण प्राप्त कर मुनीडीह प्रोजेक्ट में योगदान दिया। उन दिनों कोलियरी क्षेत्रों में सूदखोरी का धंधा चरम पर था। भोलेभाले मजदूरों की गाढ़ी कमाई को सूदखोरों के जेब में जाता देख शक्ति का मन विचलित हो उठा। अपने नाम के अनुरुप ही शक्ति ने मजदूरों को सूदखोरों के चंगुल से आजाद कराने तथा न्यूनतम मजदूरी दिलाने के लिए आंदोलन का बिगुल फूंक दिया। इस दौरान वह विनोद बिहारी महतो के संपर्क में आए और 21 जनवरी 1971 को शिवाजी समाज की जोगता थाना कमेटी का गठन किया गया। कमेटी में शक्ति को मंत्री बनाया गया। उन्होंने बाल विवाह, दहेज प्रथा, नशा उन्मूलन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। समाज के लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से रात्रि पाठशाला का शुभारंभ किया। इस अभियान का असर भेलाटांड, कपुरिया, परसिया, पुटकी, धोबनी, चीरूडीह, कारीटांड, बलिहारी से राजगंज-तोपचांची तक पड़ा। आपातकाल के दौरान शक्ति 22 माह तक धनबाद, भागलपुर तथा मुजफ्फरपुर के जेलों में बंद रहे। शोषण, अन्याय व अत्याचार के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन को कुचलने के लिए माफिया तत्वों ने उनकी हत्या की साजिश रची। 22 म ई 1975 को कारीटांड में हुई बैठक के बाद शक्ति की हत्या की कोशिश की ग ई। रात गांव में ही बिताने के कारण अपराधियों के कहर से वे तो बच ग ए, लेकिन उनके तीन साथी को मौत के घाट उतार दिया गया। 28 नवंबर 1977 का दिन कोयलांचल के लिए काला दिन साबित हुआ और सिजुआ में गोली व बम मारकर आंदोलन के प्रणेता शक्तिनाथ की निर्मम हत्या कर दी ग ई।
==लगेंगे नौ दिनी मेला: शहीद शक्ति के शहादत दिवस के अवसर पर टाटा सिजुआ 12 नंबर स्थित समाधि स्थल परिसर में नौ दिवसीय मेला का आयोजन किया जाएगा। 29 नवंबर को शहीद शक्तिनाथ महतो स्मारक शिक्षण संस्थान के बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। श्रोता 30 नवंबर को झुमर, 1 दिसंबर को जागरण का लुत्फ़ उठाएंगे। 2 दिसंबर को आदिवासी यात्रा का आयोजन किया गया है। 3 दिसंबर को छ ऊ नृत्य, 4 दिसंबर को लोकगीत, 5 दिसंबर को आरकेष्ट्रा तथा 6 दिसंबर को बांग्ला आरकेष्ट्रा की महफिल सजेगी।

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