. तो भूल जाएंगे गिरिडीह के लोग कांग्रेस का चुनाव चिन्ह 

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. तो भूल जाएंगे गिरिडीह के लोग कांग्रेस का चुनाव चिन्ह 

केदार हाजरा के झामुमो में शामिल होते ही तय हो गया कि गिरिडीह जिले की किसी भी सीट से कांग्रेस नहीं लड़ेगी 

इंडिया गठबंधन में गिरिडीह, डुमरी, गांडेय, जमुआ झामुमो के कोटे में तो बगोदर, राजधनवार भाकपा माले के खाते में जाना तय 

-कभी कांग्रेस का गढ़ था गिरिडीह, आज एक सीट पर भी नहीं कर पा रही दावा 

डीजे न्यूज, गिरिडीह   : तीन बार जमुआ से भाजपा के विधायक रहे केदार हाजरा के शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में झामुमो का दामन थामते ही यह तय हो गया है कि आइएनडीआइए से जमुआ विधानसभा सीट झामुमो के खाते में चली गई है। साथ ही यह भी तय हो गया है कि गिरिडीह जिले में इस बार एक भी विधानसभा सीट से कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ेगी। आइएनडीआइए में झामुमो, कांग्रेस, भाकपा माले और राजद शामिल है। अब यह तय हो चुका है कि गिरिडीह जिले की छह विधानसभा क्षेत्रों में से गिरिडीह, डुमरी, गांडेय और जमुआ विधानसभा सीट झामुमो के खाते में जाएगी। वहीं बगोदर, राजधनवार भाकपा माले के खाते में जाएगी। ऐसे में कांग्रेस की झोली खाली रह जाएगी। यह स्थिति रही तो गिरिडीह के लोग कांग्रेस का चुनाव चिन्ह भूल जाएंगे। कारण, गिरिडीह जिले की दो लोकसभा सीट गिरिडीह और कोडरमा पहले ही कांग्रेस क्रमश: झामुमो और भाकपा माले के लिए छोड़ चुकी है। ऐसे में लोग कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ढूंढते ही रह जाएंगे।

यहां हम आपको बता दें कि गिरिडीह जिला लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। एकीकृत बिहार के दो-दो कांग्रेसी मुख्यमंत्री केबी सहाय और बिंदेश्वरी दुबे गिरिडीह की ही देन थे। गिरिडीह की दोनों लोकसभा और सभी आधा दर्जन विधानसभा सीटों पर भी कांग्रेस का कब्जा रहा है। आज उसी जिले में कांग्रेस गठबंधन में एक भी सीट अपने लिए नहीं ले पा रही है।

इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व अधिवक्ता अजय कुमार सिन्हा का कहना है कि गठबंधन में अभी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। ऐसे में अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल रही है। वैसे यह सही है कि गठबंधन की राजनीति में गिरिडीह जिले में कांग्रेस को नुकसान हुआ है।

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