सरकारी राशि गबन में लेखापाल को तीन साल की सजा

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डीजे न्यूज, गिरिडीह:सताइस साल तक चले गबन के मामले में शुक्रवार को फैसला आया। आरोपित सुभाष चौबे को न्यायालय ने दोषी पाकर तीन साल की सजा सुनाई है। न्यायिक दंडाधिकारी सीमा कुमारी मिंज की अदालत ने बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद आरोपित सुभाष चौबे को सरकारी राशि का गबन करने,धोखाधड़ी और जालसाजी कर पेपर तैयार करने के आरोप को सही पाकर सजा सुनाई। सभी चारों धाराओं में तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई। सभी सजा साथ-साथ चलेगी। धोखाधड़ी में न्यायालय ने सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही कुल तीस हजार रुपए अर्थदंड जमा करने का भी आदेश दिया गया है। जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर अतिरिक्त सजा कटनी होगी। हालांकि न्यायालय ने सजायाफ्ता सुभाष चौबे को ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए एक माह तक कि जमानत दी है। इस बारे में अतिरिक्त लोक अभियोजक रवि चौधरी ने बताया कि इस मामले में सात गवाहों के परीक्षण कराया गया जिनमें सूचक सह प्रबंधक प्रेम रंजन सिन्हा और विभाग के कर्मचारी शामिल थे। साथ ही सरकारी दस्तावेजों को न्यायालय में साबित कराया गया। बैंक के स्टेटमेंट, पंजी भी शामिल थे। न्यायालय ने गवाहों के बयान और दस्तावेजों के आधार पर सजा सुनाई है।
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दो सालों तक दो लाख से अधिक की सरकारी राशि का किया था गबन :
यह मामला साल 1995 में नगर थाना में दर्ज की गई थी।इस कांड के सुचक सह लघु वन पदार्थ प्रमंडल के प्रबंधक प्रेम रंजन सिन्हा ने लेखापाल सुभाष चौबे पर आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कहा था कि 21 अक्तूबर 1991 से दो मार्च 1993 के बीच में विभाग के दो लाख ग्यारह हजार रुपए का गबन किया गया था। लेखापाल ने प्रबंधक से चेक पर हस्ताक्षर कराने के बाद अंक और शब्द में हेरफेर कर अतिरिक्त राशि बैंक से निकालते थे। इनमें तीन हज़ार को तेरह हज़ार,आठ को अठारह हज़ार,नो को उन्नीस हज़ार रुपए बनाकर राशि बैंक से निकालता था। जब विभाग का ऑडिट हुआ तो अतिरिक्त राशि निकासी का पता चला। पंजी में कम तो बैंक से अधिक राशि लेखापाल के निकालने का मामला 1995 में पता चला। ऑडिट रिपोर्ट के बाद प्रबंधक ने नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। यह लघु वन पदार्थ का विभाग अस्तित्व में नही है। सरकार ने विभाग को वन विभाग में मर्ज किए हैं।

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