ईश्वर पूजा के नाम पर धर्मांतरण की साजिश का लग रहा आरोप
ईश्वर पूजा के नाम पर धर्मांतरण की साजिश का लग रहा आरोप
राजधनवार के गांवों में शुक्रवार को ईश्वर पूजा के नाम पर हो रहा जुटान, दुख और कष्ट का निवारण होने का भरोसा
आयोजकों ने धर्मांतरण की साजिश के आरोपों को किया खारिज
डीजे न्यूज, राजधनवार (गिरिडीह) : धनवार प्रखंड के विभिन्न गांवों में धर्मांतरण के कई मामले प्रकाश में आए हैं। ऐसा ही एक और मामला धनवार प्रखंड अंतर्गत गोरहन्द गांव में प्रकाश में आया है। शुक्रवार को पंचखेरो डैम के नजदीक ईश्वर पूजा के नाम से धनवार और बिरनी प्रखंड के गांवों से हजारों की संख्या में महिला और पुरुष इकट्ठा हुए।
धनवार प्रखंड के हेमरोडीह गांव के शंकर पासवान एवं नवागढ़ पंचायत के प्रयाग यादव के नेतृत्व में सभा आयोजित कर पूजा कराई जा रही थी। पूजा में शामिल लोगों ने कहा कि इस प्रकार की पूजा धनवार प्रखंड के विभिन्न गांवों में प्रत्येक शुक्रवार को कराई जा रही है जिसमें अलग-अलग प्रखंड व गांव के लोग शामिल हो रहे हैं। पूजा में शामिल लोगों ने यह भी कहा कि कष्ट व दुख निवारण हेतु लोग इस पूजा में शामिल होते हैं। इस पूजा का नाम ईश्वर पूजा है जिसमें हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं की पूजा की जाती है। इधर लोगों की मानें तो ईश्वर पूजा के नाम पर ईसाई मिशनरी के द्वारा धर्म परिवर्तन का खेल खेला जा रहा है। इस प्रकार की ईश्वर पूजा के नाम पर भोली भाली महिलाओं को एकजुट कर हिंदू रीति रिवाज का बहिष्कार किया जा रहा है। पूजा में शामिल होने वाले लोगों के ऊपर कई तरह के पाबंदी लगाए जाते हैं। चश्मदीदों की मानें तो पूजा में हिंदू देवी देवताओं के साथ ईसाई धर्म से जुड़ी तस्वीर को भी शामिल किया गया था। हो हल्ला होने पर उस तस्वीर को हटा दिया गया। इधर आयोजनकर्ता शंकर पासवान और प्रयाग यादव की मानें तो यह किसी भी तरह का धर्म परिवर्तन का कोई एजेंडा नहीं है। ईश्वर पूजा हिंदू रीति रिवाज के साथ किया जाता है। इस तरह के आयोजन से हिंदू और सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया जाता है। ईश्वर पूजा शिव चर्चा का ही प्रारूप है। इसमें शामिल होने वाले लोगों के दुख और दर्द का निवारण होता है तथा लोगों की मनोकामना भी पूर्ण होती है।
विदित हो कि करीब एक वर्ष पूर्व प्रखंड के चिहूंटीमारण भी इस तरह का मामला प्रकाश में आया था। मामला उजागर होने पर सनातन धर्म मानने वाले लोग आक्रोशित हो गये थे। बाद में पदाधिकारियों व समाजसेवियों के समझाने बुझाने पर लोगों ने गांव में पूजा करना छोड़ दिया था।