बंदियो को उसके अधिकारों से नही किया जा सकता वंचित
डीजे न्यूज, गिरिडीह : डालसा की ओर से रविवार को सेंट्रल जेल में अदालत लगाई गई। इस जेल अदालत के लिए काराधीन बंदियों के चार मामलों में आवेदन दिया गया था। इस पर पीठ ने विचार किया। पाया गया कि एक वाद में बंदी का मामला सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में जमानत के लिए लंबित है। इसलिए इस वाद में जेल अदालत में विचार लंबित है। साथ ही अन्य तीन मामलों में भी बंदियों के कारा में बिताई गई अवधि पर्याप्त नहीं है।उन सभी मामलों को अगले जेल अदालत में विचार के लिए अग्रसारित किया गया। बंदियों को कानून की जानकारी देते हुए डालसा सचिव सौरव कुमार गौतम ने कहा कि बंदीगण जो स्वयं के खर्च पर अपना अधिवक्ता रख पाने में असमर्थ हैं, उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पैनल से निःशुल्क अधिवक्ता दिया जाता है। वह उनके केस में न्यायालय में निरंतर पैरवी करते हैं। उनके इन मामलों की निरंतर मॉनिटरिंग भी जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से की जाती है। उन्होंने जेल में प्रतिनियुक्त पारा लीगल वालंटियर्स को भी इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए आम बंदियों के बीच निरंतर जागरूकता कार्यक्रम संचालित करने का निर्देश दिया। साथ ही जेल पीएलबी को यह निर्देश भी दिया गया कि इस कारा में कोई भी बंदी अपने कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं रहे।उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है। इसके लिए निरंतर आम बंदियों से संपर्क में रहें।जेलर प्रमोद कुमार ने कहा कि जो बंदी की पढ़ाई बीच मे छूट गई है, या कोई बंदी अपना पढ़ाई आगे करना चाहते हैं तो जेल प्रशासन से कहे। जेल प्रशासन उनके पढ़ाई की व्यवस्था करेगी। साथ ही परीक्षा दिलवाएगी। न्यायिक दंडाधिकारी मानसी और मोहित चौधरी ने उपस्थित बंदियों को संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं बंदियों को प्राप्त अन्य कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी दी।