गरीबों के मसीहा थे शक्तिनाथ महतो टाटा सिजुआ में शहादत दिवस पर मंगलवार को होगी सभा
गरीबों के मसीहा थे शक्तिनाथ महतो टाटा सिजुआ में शहादत दिवस पर मंगलवार को होगी सभा
तरुण कांति घोष, धनबाद : सामाजिक कुरीतियों को दूर करने तथा सूदखोरों के आतंक से गरीब, असहाय को मुक्त कराते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद शक्तिनाथ महतो का जन्म तेतुलमुड़ी बस्ती में
दो अगस्त 1948 को हुआ था। किसान परिवार में जन्मे शक्ति के पिता का नाम गणेश महतो व मां सधुवा देवी है। गांधी स्मारक उच्च विद्यालय सिजुआ से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शक्ति ने आइटीआइ धनबाद में दाखिला लिया। कुमारधुबी में फीटर ट्रेड का प्रशिक्षण प्राप्त कर मुनीडीह प्रोजेक्ट में योगदान दिया। उन दिनों कोलियरी क्षेत्रों में सूदखोरी का धंधा चरम पर था। भोलेभाले मजदूरों की गाढ़ी कमाई को सूदखोरों के जेब में जाता देख शक्ति का मन विचलित हो उठा। अपने नाम के अनुरुप ही शक्ति ने मजदूरों को सूदखोरों के चंगुल से आजाद कराने तथा न्यूनतम मजदूरी दिलाने के लिए आंदोलन का बिगुल फूंक दिया। इस दौरान वह विनोद बिहारी महतो के संपर्क में आए और 21 जनवरी 1971 को शिवाजी समाज की जोगता थाना कमेटी का गठन किया गया। कमेटी में शक्ति को मंत्री बनाया गया। उन्होंने बाल विवाह, दहेज प्रथा, नशा उन्मूलन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। समाज के लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से रात्रि पाठशाला का शुभारंभ किया। इस अभियान का असर भेलाटांड, कपुरिया, परसिया, पुटकी, धोबनी, चीरूडीह, कारीटांड, बलिहारी से राजगंज-तोपचांची तक पड़ा। आपातकाल के दौरान शक्ति 22 माह तक धनबाद, भागलपुर तथा मुजफ्फरपुर के जेलों में बंद रहे। शोषण, अन्याय व अत्याचार के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन को कुचलने के लिए माफिया तत्वों ने उनकी हत्या की साजिश रची। 22 म ई 1975 को कारीटांड में हुई बैठक के बाद शक्ति की हत्या की कोशिश की ग ई। रात गांव में ही बिताने के कारण अपराधियों के कहर से वे तो बच ग ए, लेकिन उनके तीन साथी को मौत के घाट उतार दिया गया। 28 नवंबर 1977 का दिन कोयलांचल के लिए काला दिन साबित हुआ और सिजुआ में गोली व बम मारकर आंदोलन के प्रणेता शक्तिनाथ की निर्मम हत्या कर दी ग ई।