तन, मन और धन से करें समाज सेवा : हरिदास जी महाराज
डीजेन्यूज लोयाबाद (धनबाद) : मनुष्य को तन, मन और धन से धर्म और समाज की सेवा करनी चाहिए।मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म है। वैसे श्रीमदभागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मानव जीवन का कल्याण हो जाता है। कलयुग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भागवत ही एकमात्र सहारा है । कथा हमें ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करती है। सुनने से सभी पापों का नाश होता है। यह बातें गुरुवार की रात में एकडा राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के वार्षिकोत्सव के मौके पर चल रहे नौ दिवसीय भागवत कथा में प्रवचन करते हुए कथा वाचक सुरेंद्र हरिदास जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि कथा सिखाती है कि मनुष्य को तन, मन और धन तीनों प्रकार से धर्म और समाज की सेवा करने के लिए । वस्त्र दान, सेवा दान, गर्मियों के दिनों में पानी की व्यवस्था उपलब्ध कराकर चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराकर व धार्मिक कार्यों में धन लगाना चाहिए। तन और धन के अभाव में मन से भी समाज की सेवा कर सकते हैं। सुरेन्द्र हरीदास जी महाराज ने कहा कि भगवान के प्रिय पात्र सभी जिनके ऊपर भगवान की कृपा होती है। वही सद्पुरुष भगवान के मांगलिक उत्सवों में सम्मिलित हो पाते है। उत्सव स्वर्ग में भी नहीं हो सकते वो उत्सव मात्र धराधाम पर होते है। उन उत्सवों में अगर आने का सौभाग्य मिल जाये तो ये उनकी कृपा होती है। बहुत से लोगो के लिए बहुत आसान है ये कहना की कथा तो हम सुनते ही रहते है, कथा तो होती ही रहती है पर वे लोग भाग्यशाली होते हैं जो हर कथा में जाते हैं। कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर भी रहने के बावजूद भी कथाओं में नहीं जाते हैं। उनका भगवान से इतना लगाव नहीं होता है। कारण मनुष्य के पापमय वृद्धि होती है ।उन्होंने वामन अवतार का चर्चा करते हुए कहा कि वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारो में पांचवा अवतार और मानव रूप में अवतार था। जिसमें भगवान विष्णु ने एक वामन के रूप में इंद्र की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया। वामन अवतार की कहानी असुर राजा महाबली से प्रारम्भ होती है। कार्यक्रम को सफल करने वाले में मोहन निषाद, धर्मेंद्र साव, रोहित, आदि सराहनीय योगदान कर रहे हैं।