सरकार के आदेश की प्रथम अपीलीय अधिकारी उड़ा रहे धज्जियां
सरकार के आदेश की प्रथम अपीलीय अधिकारी उड़ा रहे धज्जियां
सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुनील खंडेलवाल ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर दिलाया संज्ञान
डीजे न्यूज, गिरिडीह : सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुनील कुमार खंडेलवाल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर बताया है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी सूचना के अधिकार के संबंध में सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ रहे हैं7 ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग उन्होंने की है।
खंडेलवाल ने बताया कि
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आम जनता को किसी भी जन सूचना पदाधिकारी के द्वारा 30 दिनों के भीतर सूचनाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान है। यदि कोई जन सूचना पदाधिकारी 30 दिनों के भीतर सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराता है तो सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए संबंधित प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के पास प्रथम अपील दायर की जाती है ताकि आवेदकों को सूचनाएं प्राप्त हो पाए।
ऐसा देखा जा रहा है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी प्रथम अपील की सुनवाई ससमय नहीं कर रहे हैं। इसके कारण लोगों को वांछित सूचनाएं प्राप्त नहीं हो पा रही है।
विदित है कि दिनांक 26 जुलाई 2021 को सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुनील कुमार खंडेलवाल ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को इस संबंध में एक शिकायत पत्र भेजा था एवं प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के द्वारा प्रथम अपील की सुनवाई समय पर हो पाए इसे सुनिश्चित करने हेतु निवेदन किया था।
उपरोक्त शिकायत के आलोक में बृज माधव, अवर सचिव, झारखंड सरकार, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग रांची ने 26 अक्टूबर 2021 को सुनील कुमार खंडेलवाल को सूचित किया था कि मामले में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सरकार के सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव सहित झारखंड के सभी जिलों के उपायुक्त को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रथम अपील की सुनवाई निर्धारित समय सीमा के अंदर करने के संबंध में एक आदेश पारित कर दिया है।
उपरोक्त आदेश के बाद कुछ दिनों तक प्रथम अपील की सुनवाई प्रथम अपीलीय अधिकारियों ने की गई पुनः स्थिति जस की तस हो गई है। प्रथम अपीलीय पदाधिकारी लोगों की प्रथम अपील पर किसी भी तरह की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। इसके कारण लोगों को सूचनाएं प्राप्त नहीं हो पा रही है। राज्य में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन हो रहा है। लोग अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित हो रहे हैं।
खंडेलवाल ने बताया कि पिछले साढ़े तीन वर्षों से झारखंड राज्य सूचना आयोग मृतप्राय पड़ा हुआ है। इसका अनुचित लाभ संबंधित जन सूचना पदाधिकारी एवं प्रथम अपीलीय पदाधिकारी ले रहे हैं। उन्हें मालूम है कि अगर वे सूचनाएं उपलब्ध नहीं भी कराते हैं तो भी उनका कुछ बिगड़ने वाला नहीं है क्योंकि उन्हें दंडित करने वाला आयोग ही मृतप्राय है। इस संबंध में सरकार से एवं संबंधित उच्च अधिकारियों से अपील की है कि मामले की गंभीरता को मद्देनजर रखते हुए इस कानून का कड़ाई से अनुपालन कराने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को आदेश दें। साथ ही आदेश की अवहेलना होने पर संबंधित पदाधिकारी पर विभागीय दंडात्मक कार्रवाई हो ऐसा सुनिश्चित करें।