गिरिडीह अधिवक्ता संघ के चुनाव को लेकर घमासान

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गिरिडीह अधिवक्ता संघ के चुनाव को लेकर घमासान

ऑडिट रिपोर्ट पर अधिवक्ता संघ में बवाल

संघ के पदाधिकारी गिना रहे हैं उपलब्धि तो कई अधिवक्ता का कहना है हुआ है लाखों का हेरफेर 

संघ के आमदनी और खर्च पर उठ रहा है सवाल

डीजे न्यूज, गिरिडीह : अधिवक्ता संघ कार्यकारिणी का चुनाव अगले कुछ महीने के अंदर होना है। निवर्तमान पदाधिकारी के साथ प्रतिद्वंद्वी अधिवक्ता चुनावी समर में कूदने को तैयार हैं। निवर्तमान पदाधिकारी अपने पूर्व में किए कार्यो को उपलब्धि बताकर फिर से पद प्राप्ति के लिए आशान्वित हैं। उन्हें अधिवक्ता सदस्यों से फिर से वोट मिलने की उम्मीद है। वहीं गत चुनाव में शिकस्त खाए कुछ प्रतिद्वंद्वी अधिवक्ताओं के साथ कई नए चेहरे भी मुख्य मुकाबले में शामिल होने का संकेत दिए हैं। इन लोगों का कहना है कि जिला अधिवक्ता संघ के 50 सालों के इतिहास में यह सबसे खराब कार्यकारिणी है। ऐसे अधिवक्ताओं का कहना है कि महासचिव की मनमानी जगजाहिर है। महासचिव समेत अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि अधिववक्ता साथियों के बैठने के लिए कई शेड बनवाए गए। साथ आधुनिक शौचालय का निर्माण जारी है। वहीं अधिववक्ता कामेश्वर प्रसाद यादव, अजय कुमार सिन्हा समेत अन्य का कहना है कि संघ की आय में वृद्धि हुई है पर अधिवक्ताओं को मिलने वाली फेस्टिवल के समय राशि मे काफी कमी आई है। नियमित रूप से वकालतनामा, एफिडेविट फॉर्म, हाज़री फार्म की बिक्री गिरिडीह व्यवहार न्यायालय के साथ तीन अधीनस्थ अनुमंडल न्यायालय में की जाती है। प्रतिदिन हजारों रुपए की आमदनी होती है। यह कितनी संख्या में होती है। इसके आय व्यय का लेख जोखा प्रतिमाह नोटिस बोर्ड पर नही दिया जाता है।

 

मॉडर्न रूल का नही होता है पालन

 

इन अधिवक्ताओं का कहना है कि स्टेट बार काउंसिल के निर्देश पर बने मॉडर्न रूल का पालन नही किया जाता है। रूल के अनुसार प्रत्येक वर्ष संघ के आय व्यय का लेखा जोखा के लिए ऑडिट अनिवार्य है। छह माह में जनरल बॉडी की बैठक कर सदस्यों को आय व्यय समेत अन्य चीजों की जानकारी देनी होती है। निवर्तमान कार्यकारिणी ने यह नहीं किया। इधर चुनाव से पूर्व ऑडिट कराया गया है। इस ऑडिट रिपोर्ट पर आरोप प्रत्यारोप चल रहा है। निवर्तमान कमिटी इसे सही बता रहे हैं। वहीं कई अधिववक्ता इस ऑडिट रिपोर्ट को आईवाश बता रहे हैं।

 

ऑडिट रिपोर्ट में एक-एक रुपए का हिसाब : चुन्नुकांत

 

महासचिव चुन्नुकान्त का कहना है कि वर्तमान कमिटी ने अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए कई कार्य किए। संघ की जो आमदनी है। उसी के अनुरूप अधिवक्ता सदस्यों को फेस्टिवल के समय राशि दी जाती है। पिछले कुछ सालों में सदस्यों की संख्या बढ़ी है। पहले कम सदस्य थे ।उन्होंने बताया कि ऑडिट रिपोर्ट सीए का है। एक-एक  पाई का हिसाब है। लोग बेवजह विवाद करना चाहते हैं।

 

ऑडिट कब और किसके समक्ष हुई, सिर्फ आईवाश : कामेश्वर प्रसाद यादव

 

वरीय अधिववक्ता कामेश्वर प्रसाद यादव का कहना है कि इतना बड़ा लम्बा चौड़ा ऑडिट रिपोर्ट में क्या है। यह नहीं बताया गया है कि किस तारीख में कितने वकालतनामा, एफिडेविट फॉर्म बीके, क्या आमदनी हुआ। कितना खर्च उस तारीख में हुआ जो कि बिंदुवार नही है। ऐसा प्रतीत होता है कि जितनी आमदनी दर्शायी गई है उससे ज्यादा की आमदनी पिछले सात सालों में हुई है। लाखो के हेरफेर से इंकार नही किया जा सकता है।

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