राष्ट्रपति महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में हुईं शामिल, आदिवासी महिलाओं के उत्थान पर मंथन
राष्ट्रपति महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में हुईं शामिल, आदिवासी महिलाओं के उत्थान पर मंथन
डीजे न्यूज, रांची : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आज बिरसा मुंडा स्टेडियम, खूंटी में आयोजित महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप मे शामिल हुईं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने स्वयं सहायता समूह की दीदियों द्वारा लगाए गए स्टॉल्स का भ्रमण किया और उनके साथ सीधा संवाद किया। सम्मेलन में राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, जनजातीय कार्य मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जनजातीय कार्य मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता, झारखंड सरकार में मंत्री जोबा मांझी, विधायक कोचे मुंडा, विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, विधायक विकास सिंह मुंडा एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कड़िया मुंडा समेत कई गणमान्य उपस्थित रहे।
आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने का संकल्प
आदिवासी समाज अपनी संस्कृति, सभ्यता, भाषा, परंपरा और पहचान के साथ निरंतर आगे बढ़े। आदिवासियों को पूरा मान- सम्मान और अधिकार मिले, इसका हमने संकल्प ले रखा है । इस दिशा में राज्य सरकार हर मोर्चे पर केंद्र सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज बिरसा मुंडा स्टेडियम, खूंटी में आयोजित महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय आर्थिक रूप से कैसे समृद्ध हो । इस पर हम सभी को गंभीरता से विचार करते हुए धरातल पर कार्य करना होगा।
आदिवासी अपने पैरों पर खड़ा होने की कर रहे जद्दोजहद
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति की उपस्थिति में भगवान बिरसा मुंडा की पावन भूमि पर आज महिला सम्मेलन का आयोजन हो रहा है । इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के मंत्रीगण एवं अधिकारी गण यहां मौजूद हैं। हम सभी के लिए यह गौरव की बात है। मैं यहां बताना चाहूंगा कि आदिवासियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है, लेकिन उसका जो प्रभाव परिलक्षित होना चाहिए, वह नहीं दिख रहा है। आज भी वे अपने पैरों पर खड़ा होने और आय स्रोत बढ़ाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। ऐसे में आदिवासी समाज आर्थिक रूप से कैसे समृद्ध हो, इस पर हम सभी को गंभीरता के साथ मंथन करने की जरूरत है।
कई चुनौतियों से संघर्ष कर रहा है आदिवासी समुदाय
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अलग राज्य गठन के 22 वर्ष हो चुके हैं ।लेकिन आदिवासियों के हित में विकास के जो कार्य होने चाहिए, वे नहीं हुए हैं। वे आज भी कई चुनौतियों से संघर्ष कर रहे हैं । विस्थापन का दंश झेलने के साथ पलायन करने को मजबूर हैं । मुझे कोरोना काल में पता चला कि यहां से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन वर्षों से होता आ रहा है । ऐसे में हमारी सरकार ने इस विषय पर व्यापक रूप से चिंतन- मंथन करते हुए उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
जल जंगल जमीन व खनिज संसाधन से प्रचुर होने के बाद भी पिछड़ा है
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जंगल जमीन झारखंड की पहचान है । हमारे यहां तमाम खनिज संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। इन्हीं खनिज संसाधनों की बदौलत आज पूरा देश रोशन हो रहा है ।लेकिन, झारखंड की गिनती पिछड़े राज्यों में होती है । आखिर ऐसा क्यों ? यह हम सभी को सोचने -समझने की जरूरत है । झारखंड कैसे आगे बढ़े ? इसके लिए हमारी सरकार लगातार ठोस कदम उठा रही है,।
जमीनी हकीकत को समझने का कर रहे प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के विकास से जुड़ी गाथा को विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान स्टॉल एवं अन्य माध्यमों से दिखाने का कार्य अधिकारीगण करते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। इसी बात को ध्यान में रखकर मैं जब भी किसी कार्यक्रम में जाता हूं तो वहां की “झांकी” को आगे की बजाए पीछे के पर्दे से देखना चाहता हूं ,ताकि असलियत जान सकूं और उससे जुड़ी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में आगे बढ़ सके।
वन उपजों का वाजिब मूल्य मिले, उठा रहे ठोस कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के 14 हज़ार से ज्यादा ऐसे गांव हैं, जो वन उपज से सीधे जुड़े हुए हैं । लाह, इमली, करंज और शहद जैसे कई वन उपज का उत्पादन कर रहे हैं। लेकिन, उन्हें एमएसपी तय नहीं होने से बाजार मुल्य से काफी कम कीमत मिलती है। यहां बिचौलिया हावी हैं । हमारी सरकार ने सिदो कान्हू कृषि एवं वनोपज फेडरेशन का गठन किया है। इसके माध्यम से उनके वन उपज को एकत्रित किया जाएगा और किसानों को इसका बाजार मूल्य देने का काम करेंगे ।
वन उपजों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने वन उपज के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर जोर दिया ।ताकि, इसका बेहतर तरीके से इस्तेमाल और सदुपयोग हो सके । उन्होंने कहा कि इस दिशा में जल्द ही किसान मेले का आयोजन होगा और किसानों को इससे संबंधित जानकारी और प्रशिक्षण दिया जाएगा।
लैम्प्स -पैक्स एवं वन समिति को कर रहे मजबूत
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिदो कान्हू कृषि एवं वनोपज फेडरेशन के माध्यम से लैम्प्स -पैक्स एवं वन समिति को मजबूत कर रहे हैं । इस दिशा में राशि उपलब्ध करा दी गई है। इसके साथ महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा उत्पादित उत्पादों को पलाश ब्रांड के जरिए बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि पलाश ब्रांड के तहत महिला स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की मांग जिस तेजी से बढ़ रही है, उसकी तुलना में उत्पादन नहीं हो रहा है । ऐसे में उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में भी हम कदम पढ़ा रहे हैं ,ताकि इसका लाभ लोगों को मिल सके।
सरना धर्म कोड और हो मुंडारी एवं कुड़ुख़ भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड लागू करने और हो, मुंडारी और कुड़ुख़ भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की दिशा में पहल करने की मांग की । उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की अस्मिता और पहचान को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है, क्योंकि यह उनके मान -सम्मान के साथ जुड़ा हुआ है।
इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार झा, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राईफेड) के मैनेजिंग डायरेक्टर गीतांजलि गुप्ता और महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं हजारों महिलाएं मौजूद थीं।