मुख्यमंत्री ने अधिवक्ताओं के लिए की कई घोषणाएं, कोर्ट फीस घटाएगी सरकार

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डीजे न्यूज, रांची :मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि जल्द ही आप सभी अधिवक्ताओं के लिए दुर्घटना एवं स्वास्थ्य बीमा की योजना लेकर आ रहा हूं। आप सभी लोग सपरिवार प्रति वर्ष बेहतर इलाज हेतु 5 लाख रुपए तक की सहायता राशि प्राप्त कर सकेंगे। मुझे बताया गया है कि झारखंड अधिवक्ता संघ, कल्याण कोष से 65 वर्ष से अधिक उम्र के सेवानिवृत्त अधिवक्ताओं को पेंशन प्रदान करता है, आज मैं आप सबके बीच यह घोषणा करता हूं कि जितनी पेंशन की राशि वेलफेयर ट्रस्ट प्रदान करेगा उसके बराबर की राशि राज्य सरकार भी उस कोष में योगदान स्वरूप देगी। इस तरह आपको मिलने वाली राशि को दोगुना करने का विचार राज्य सरकार ने किया है। मैं प्रत्येक जिले में नए सिरे से सुसज्जित बार कंपलेक्स के काम को भी जल्द प्रारंभ करने जा रहा हूं। राज्य में जितने भी बार कंपलेक्स बनेंगे सभी कॉन्प्लेक्स लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, मीटिंग हॉल, महिलाओं के लिए जरूरी सुविधा आदि सहित सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त होंगे। मुख्यमंत्री ने एकलव्य प्रशिक्षण योजना, मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना एवं गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, मॉडल स्कूल आदि का जिक्र करते हुए कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए हम अनेक योजना ले कर आये हैं आप अधिवक्ता साथी भी इसका लाभ ले सकते हैं। आपके बच्चे भी इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ इत्यादि की तैयारी हेतु कोचिंग करेंगे जिसका सारा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 15 लाख रुपए तक की शिक्षा ऋण ली जा सकती है। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आज कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में आयोजित ‘मुख्यमंत्री अधिवक्ता संवाद’ कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे बार काउंसिल के सदस्य, एपीपी तथा अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहीं।

अन्य राज्यों के आकलन के बाद एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर लिया जाएगा फैसला

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य विधिज्ञ परिषद द्वारा अधिवक्ता (संरक्षण) कानून अधिनियमित करने हेतु अनुरोध किया गया है। इस संबंध में देश के विभिन्न राज्यों से पत्राचार कर यह जानने का प्रयास किया गया है कि आपके राज्य अंतर्गत अधिवक्ताओं के सुरक्षा हेतु प्रवृत्त एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के प्रावधान एवं उपबंधों किस रूप में हैं। अन्य राज्यों के आकलन के बाद अधिवक्ता (संरक्षण) कानून पर फैसला लिया जाएगा ।

बार कंपलेक्स में कंप्यूटर एवं इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराएंगे

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि यह सच्चाई है कि राज्यभर के सक्रिय लगभग 30 हजार वकीलों में से दो- ढाई हजार वकीलों को छोड़ दें तो बाकी की स्थिति दयनीय बनी हुई है। आज विभिन्न जिला एवं सत्र न्यायालयों में और उसकी छोड़िए उच्च न्यायालय में भी आप अधिवक्ताओं के लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है। क्या आप अधिवक्ताओं को लाइब्रेरी की सुविधा मिल पाती है जहां आप कानून से संबंधित विषयों पर इत्मीनान से पढ़ सकें? अब समय बदल गया है। दिन प्रतिदिन विभिन्न प्रतिष्ठित न्यायालयों में अच्छे निर्णय आ रहे हैं। आप इन निर्णयों को बेहतर तरीके से जान सकें इसके लिए हमारी सरकार बार भवनों में कंप्यूटर तथा इंटरनेट की भी सुविधा उपलब्ध कराएगी।

कुछ दिनों से कोर्ट फीस में वृद्धि चर्चा का विषय

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कोर्ट फीस वृद्धि हम सभी के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। जुडिशल स्टांप जो 1995 में 5 रुपए का था उसे लगभग 27 सालों के बाद 20 रुपए किया गया है। आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोर्ट फीस में कमी करने का कोई रास्ता निकलता है तो सरकार उस पर भी विचार करेगी। राज्य सरकार का मानना है कि कोई भी निर्णय आम जनता के लिए पीड़ादायक न बने इसका सदैव ख्याल रखा जाना चाहिए।

नोटरी अधिवक्ता के लिए शीघ्र विज्ञापन जारी की जाएगी

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि नोटरी अधिवक्ता के चयन के लिए शीघ्र ही विज्ञापन राज्य सरकार जारी करेगी। आप लोगों में से जो आवेदन करना चाहते हैं वे अवश्य आवेदन कीजिए। चयन के समय वैसा वर्ग जिनका प्रतिनिधित्व कम है उसे किस ढंग से प्राथमिकता दें इसका भी ख्याल रखा जाएगा।

‘मुख्यमंत्री अधिवक्ता संवाद’ कार्यक्रम राज्य में पहली बार आयोजित

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य में पहला ऐसा मौका है जब ‘मुख्यमंत्री अधिवक्ता संवाद’ कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यही है कि अधिवक्ताओं की समस्याओं का समाधान संवाद के तहत किया जा सके। मेरा सौभाग्य है कि इस संवाद कार्यक्रम के अवसर पर मैं आप सभी अधिवक्तागणों के कुछ समस्याओं से अवगत होकर आपकी कुछ मदद कर सकूं। आप सभी अधिवक्तागण न्यायपालिका के एक मजबूत स्तंभ हैं। आप राज्य सरकार की सभी गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं। चाहे वे गतिविधियां राजनीतिक, प्रशासनिक, न्यायिक या अन्य हो।

मेरे लिए यह बिल्कुल अलग मंच

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अधिवक्ता संवाद कार्यक्रम का यह मंच मेरे लिए बिल्कुल नया और अलग मंच है। वैसे तो कई बार ऐसे मौके मिले जब केंद्र सरकार के कार्यक्रम एवं विभिन्न राज्यों के न्यायाधीशों के साथ बैठने और चर्चा करने का मौका मिला है। इन्हीं मौकों पर मेरे मन में भी न्यायिक व्यवस्था के प्रति क्या अच्छा हो हो सकता है इस पर कार्य करने को लेकर कुछ इच्छाएं जागृत हुई थी। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि विभिन्न राजनीतिक पायदानों को छूते हुए मैं निकला हूं। राज्य के मुखिया होने के नाते विभिन्न व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। यह जिम्मेदारी तब और चुनौतीपूर्ण बन जाती है जब आदिवासी, दलित, गरीब, किसान, मजदूर जरूरतमंदों की सर्वांगीण विकास की बात आती है। आज हमारी सरकार से कहीं ना कहीं राज्य के समस्त जन मानस को एक उम्मीद जगी है। राज्य की जनता ने मुझे कुर्सी पर बैठाने का काम किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी क्रम में अधिवक्ताओं के हित में क्या बेहतर किया जा सकता है इस हेतु ‘मुख्यमंत्री अधिवक्ता संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ है। आज मैं आमजन के साथ-साथ अधिवक्ताओं के लिए भी खड़ा हूं।

पिछले 20 वर्षों में जिस दिशा में राज्य को जाना था शायद नहीं जा पाया

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद पिछले 20 वर्षों में राज्य को आगे ले जाने की जिम्मेवारी जिन्हें मिली उन्होंने सही दिशा में काम नहीं किया। आखिर झारखंड राज्य में क्या कमी थी कि यह राज्य क्यों अंतिम पायदान पर जाकर खड़ा हो गया? आज मैं राज्य की सवा तीन करोड़ जनता के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य योजना बनाकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा हूं। राज्य के विकास में अधिवक्ताओं की भूमिका भी अहम होती है। हम सभी लोगों का यह प्रयास होना चाहिए कि कैसे हम एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर सभी का सम्मान और स्वाभिमान को अक्षुण्ण रखते हुए राज्य को आगे ले चलें।

छोटे-छोटे वादों में बंद कैदियों को न्याय दिलाना प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब मैं आपसे मुखातिब हो रहा हूं तो इसके दो कारण हैं। इस वर्ग कि, जिसमें अपार क्षमता है, जिस पर एक बड़ी जिम्मेवारी है उसकी समस्याओं का निराकरण कैसे हो? आपके हित कैसे सुरक्षित किये जाएं ? दूसरा – आप के माध्यम से राज्य के आदिवासी/दलित/पिछड़े को न्याय कैसे मिल सके? मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि आज हमारे जिलों में एक बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदी बंद हैं। विचाराधीन है क्योंकि सही से विचार के लिए उन्हें समय नहीं मिल पा रहा है। अगर इन कैदियों की जाति की बात करें या आय की बात करें तो उनमें से ज्यादातर आदिवासी/दलित/पिछड़े एवं अल्पसंख्यक हैं। कम संसाधन एवं कम आय वर्ग वाले समूह से हैं। छोटे-छोटे अपराध में वे वर्षों से जेल में बंद हैं। ऐसे कैदियों को भी वकील उपलब्ध कराया जा सके इस निमित्त हमारी सरकार प्रयासरत है। ऐसे कैदियों को न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता है।

अधिवक्ताओं की भूमिका अहम

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि मेरे अनुसार अधिवक्ताओं की भूमिका केवल वादों के निस्तारण तक सीमित नहीं है। आप समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। आप न्यायालय के माध्यम से लोगों के अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं की रक्षा करते हैं। कितना भरोसा का पेशा है आप अधिवक्ताओं का। जो व्यक्ति घर वालों को, पुलिस को भी सही-सही बात नहीं बताता है वह आपसे जब चर्चा करता है तो पूरी सच्चाई बता देता है। सच्चाई बताता है क्योंकि उसे भरोसा है कि आप ही उसे बचा पाएंगे। एक परिवार के सदस्य से भी गहरा रिश्ता निभाते हैं आप। राज्य के सर्वांगीण विकास में अधिवक्ताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण और अहम होती है।

राजस्व वृद्धि पर हो रहा है काम

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार के गठन के बाद से ही प्रत्येक क्षेत्र में राजस्व वृद्धि पर कार्य किए जा रहे हैं। सरकार का काम सिर्फ खर्च करना ही नहीं बल्कि इनकम के स्रोत को बढ़ाना भी है। जीएसटी लागू होने के बाद प्रतिवर्ष लगभग 5 हजार करोड़ की राजस्व का नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अमूमन पहले वादों को हार जाती थी परंतु हमारी सरकार अब राज्य सरकार द्वारा डिफेंड किए जा रहे कोर्ट केसों को जीतने का काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ी-बड़ी कंपनियों के ऊपर राज्य का करोड़ों का बकाया है। अब हमारी सरकार ने कमर कस ली है। जिन-जिन कंपनियों के ऊपर बकाया है, हर हाल में उन कंपनियों से हम राशि वसूलेंगे। पहली बार राज्य सरकार को फॉरेस्ट एवं पथ निर्माण विभाग से भी राजस्व मिल रहा है। क्योंकि वेलफेयर स्टेट के रूप में हमारे राज्य में अधिक कार्य करना पड़ता है क्योंकि गांव, गरीब किसान, मजदूर और जरूरतमंदों के लिए हमें कई योजनाएं चलानी पड़ती हैं। हमारी सरकार का प्रयास है कि झारखंड को पिछड़े राज्य के कलंक से निकाला जाए।

हम उनमें से नहीं कि जो मन में आए करिए और अपना पीठ स्वयं थप- थपाईये

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि आने वाले समय में बहुत बड़ा बोझ राज्य सरकार के ऊपर आएगा। लेकिन हम चुनौतियों से कभी डरे नहीं हैं। वित्तीय व्यवस्था को मजबूत करेंगे और भावी कल्याणकारी योजनाओं का संचालन भी करेंगे। हमारी सरकार ने ऐसी योजना बनाई है कि आप अधिवक्ताओं के बच्चे भी आने वाले समय में सरकारी स्कूलों में पढ़कर गर्व महसूस करेंगे। हमारी सरकार निजी स्कूलों के तर्ज पर सरकारी स्कूलों को अपग्रेड करने का काम कर रही है। झारखंड देश का पहला राज्य है जहां उच्चतर शिक्षा के लिए विदेशों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को सत प्रतिशत स्कॉलरशिप दे रही है। झारखंड देश का पहला राज्य है जहां सर्वजन पेंशन योजना लागू की गई है। हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। ओल्ड एज होम एवं अनाथालय में रहने वाले व्यक्तियों एवं बच्चों के लिए राज्य सरकार ने एक अलग नीति बनाने का काम किया है। ऐसे लोगों को भी पारिवारिक माहौल में रखा जा सके इस निमित्त हमारी सरकार कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम उनमें से नहीं कि जो मन में आए करिए और अपना पीठ स्वयं थपथपाईये।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे न्यायिक अधिकारियों, एपीपी, बार काउंसिल के सदस्य एवं अधिवक्ताओं को अपनी ओर से नव वर्ष की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। मौके पर स्वागत संबोधन में महाधिवक्ता  राजीव रंजन ने ‘मुख्यमंत्री अधिवक्ता संवाद’ कार्यक्रम के उद्देश्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला।

इस अवसर पर झारखंड स्टेट बार काउंसिल के प्रतिनिधि राम सुभाग सिंह, अध्यक्ष डिस्ट्रिक्ट बार धनबाद अमरेंद्र सहाय, जीपी गोड्डा अब्दुल कलाम आजाद एवं मेंबर बार काउंसिल तथा ट्रस्टी कमेटी डिस्ट्रिक्ट बार जमशेदपुर के अनिल तिवारी ने मुख्यमंत्री को अधिवक्ताओं की समस्याओं पर संवाद के जरिए ध्यान आकृष्ट कराया।
इस अवसर पर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, महाधिवक्ता राजीव रंजन, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव विधि विभाग नलिन कुमार सहित राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे न्यायिक अधिकारियों, एपीपी, बार काउंसिल के सदस्य एवं अधिवक्तागण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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