यहां निरंकुश गजराजों का राज, किसानों पर गिर रही गाज
संजीत तिवारी, धनबाद : टुंडी के आसपास के क्षेत्रों में इन दिनों जंगली हाथियों का झुंड आतंक का पर्याय बन गया है। बीतें कुछ दिनों से निरंकुश गजराजों का झुंड इस कदर सक्रिय हो गया है कि ग्रामीणों की नींद उड़ गयी है। ग्रामीण रात भर जागते हुए न केवल खुद व अपने परिवार को सुरक्षित रख रहे हैं बल्कि खेतों में लगी फसलों को भी बचाने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकांश समय फसल बचाने की कोशिश नाकामयाब ही होती है । किसानों को भारी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है।
बताया जाता है कि टुंडी प्रखंड में इन दिनों हाथियों का एक झुंड काफी सक्रिय हो गया है जो रात में गांवों में प्रवेश कर घरों को तोड़ रहा है और खेतों में लगी फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। बुधवार अहले सुबह टुंडी प्रखंड के कोल्हर पंचायत अंतर्गत लकड़ाखुंदी, सोनाद आदि गांव में कई घर क्षतिग्रस्त कर दिया। एक ओर जहां रात में ये हाथी तांडव मचाते हैं वहीं दिन होते ही जंगलों में जाकर विश्राम करने लगते है।
विभाग की कार्यशैली से ग्रामीणों में आक्रोश
हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं और वन विभाग तबाही के बाद मुआयना करने पहुंचती है।इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।अगर अब भी विभाग कुंभकर्णी नींद से नहीं जागी तो जनता का सब्र कभी भी जवाब दे सकता है । बुधवार अहले सुबह हाथियों का झुंड टुंडी और मंझीलाडीह के बीच से टुंडी पहाड़ की ओर जाते हुए नजर आया।वन विभाग की इस लापारवाही पर टुंडी प्रखण्ड भाजपा के उपाध्यक्ष फेनीलाल यादव ने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि वन विभाग को हाथियों की मॉनिटरिंग ठीक से करनी चाहिए जिससे वो आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश नहीं कर सके, और लोगों का जान माल का नुकसान नहीं हो।
यहां के ग्रामीणों के लिए नयी नहीं है यह ये आफत
बीते कई वर्षों से हाथियों ने धनबाद में लगातार तबाही मचाई है। इस क्रम में न केवल फसलों को रौंदा है बल्कि निर्ममता से जान भी ले ली है। हाथियों के उत्पात से किसानों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गई है। हाथियों का सबसे अधिक आतंक जिले के टुंडी प्रखंड में है तीन – चार दिन पहले भी टुंडी के ऊपर नगर में हाथियों ने फसलों को जमकर बर्बाद किया।
रतजगा करने को मजबूर हैं ग्रामीण
धान की फसल बचाने को ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं टुंडी पहाड़ी के किनारे बसे गांव में सबसे अधिक हाथियों का आतंक रहता है पहाड़ी पर डेरा डालने वाले हाथी नीचे पानी की तलाश में पहुंचते हैं और तबाही मचाते हैं। धान के मौसम में जब चावल तैयार करने के लिए उबाला जाता है तो उसकी सोंधी खुशबू से भी हाथी गांव की और पहुंचते हैं। हाथियों का झुंड हर साल पहुंचकर तबाही मचाता है लेकिन वन विभाग के पास से रोकने की व्यवस्था नहीं
रात में हाथी तो दिन में लंगूर करते हैं परेशान
हाथी व लंगूर की दोहरी मार झेल रहे हैं टुंडी प्रखंड के किसान। यहां हाथियों के साथ.साथ लंगूर भी परेशानी का सबब ना हुआ है। रात में जहां हाथियों का झंुड पैरों तले फसलों को रौंद देता है वहीं दिन में लंगूरों की टोली फसलों को उखाड़कर कर बर्बाद कर देता है। किसानों के पास इन समस्याओं का कोई हल नहीं है। बताते हैं कि हर साल लाखों रुपए की फसल किसानों की बर्बाद होती है।
पिछले बर्ष फसल व घर नुकासान के मामलों का आंकड़ा
वर्ष 2020-21 में हाथियों से फसल नुकसान के 109 मामले आये जिसका वन विभाग ने 472000 मुआवजा दिया। इसी वर्ष हाथियों ने धनबाद जिला में दो लोगों की जान ले ली तथा एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया। मृतक के परिजनों को आठ लाख तथा घायल को एक लाख का मुआवजा दिया गया है। झारखंड बनने के बाद से अब तक धनबाद वन क्षेत्र में फसल और घर नुकसान के 2699 मामले सामने आये।
क्या कहते हैं डीएफओ
विभाग हाथियों द्वारा अंजाम दिए जा रहे घटनाओं के प्रति गंभीर है। हाथियों से निपटने के लिए वन विभाग लगातार प्रयासरत है। बंगाल से हर साल मशालचियों को बुलाकर हाथियों को खदेड़ा जाता है। यही नहीं ग्रामीणों को भी समय.समय पर जागरूक किए जाने का काम किया जाता है।
विमल लकड़ा, डीएफओ