हार्ट एवं कैंसर जैसी बीमारियों का जनक है ट्रांस फैट, नियंत्रण के लिए जागी सरकार
डीजे न्यूज, गिरिडीह : खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के द्वारा खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट के लेवल के निर्धारण के लिए पूरे देश में सर्वे किया जा रहा है। इसी क्रम में गिरिडीह जिला में खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी के निगरानी में एनसीएमएल कंपनी के सैंपलर ने शनिवार को सैंपलिंग किया। सैंपलिंग के क्रम में ब्रेड, रस्क, सरसों का तेल, सोयाबीन रिफाइन तेल, कैंडी चाकलेट, स्कीम मिल्क पाउडर, बिस्किट, नमकीन भुजिया, पापड़ एवं पैटीज का सैंपल लिया गया। इस सर्वे का मकसद भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, नई दिल्ली के द्वारा भारतीय खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट के लेवल को जानना एवं वैश्विक मानक के अनुरूप 2% के लेवल पर फेज वायीज मैनर में लाना है।
इसके अलावा ट्रांस फैटी एसीड बनस्पति, बेक्ड एवं फ्राइड फूड में ज्यादा मात्रा में पायी जाती है। इसके उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ट्रांस फैट कोरोनरी हार्ट की बीमारी एवं कैंसर जैसी बिमारियों का जनक होता है। ऐसा अनुमान है कि विश्व में प्रति वर्ष 540,000 मौतें ट्रांस फैट के वजह से होती है। अतः मानव भोजन में इसकी मात्रा को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। FSSAI नें भारतीय खाद्य पदार्थ में ट्रांस फैट का स्तर 2013 में 10%, 2016 में 5% एवं 2021 में 3% तक सिमित करने का लक्ष्य रखा था। किन्तु वेश्विक मानक के अनुरूप लाने के लिए 2022 में ट्रांस फैट का स्तर 2% पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। भोज्य पदार्थों में ट्रांस फैट के स्तर को कम करने के लिए FSSAI के द्वारा उपभोक्ताओं एवं उत्पादको के बीच भी लागातार जागरुकता फैलाया जा रहा है l खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी गिरिडीह के द्वारा बताया गया की यह एक प्रकार का सर्विलांस सैम्पलिंग है और देश के 550 जिलों में एक साथ किया जा रहा है।