सरना धर्म कोड के लिए आदिवासियों ने आसाम में दिखाई ताकत

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डीजे न्यूज, गुवाहाटी :आदिवासी सेंगेल अभियान के तत्वावधान में गुवाहाटी के सचर धरना स्थल में शुक्रवार को सरना धर्म कोड रैली का आयोजन किया गया। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, असम के हज़ारों कार्यकर्ता इस कार्यक्रम में शामिल हुए।असम के विभिन्न ज़िलों से पुलिस के अनुचित रुकावटों के बावजूद चेरांग, कोकड़ाझाड़, तामुलपुर, सुनितपुर और उदालगुड़ी से भी हज़ारों आदिवासियों ने इस सभा में भाग लिया।
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने असम के विभिन्न ज़िलों में पुलिस की बर्बरता को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि असम में दो तरह की पुलिस प्रशासन चालू है। एक गुवाहाटी से और 5 जिलों में अंडरग्राउंड कमांड से। असम की पुलिस का आदिवासी विरोधी रवैया ना केवल अत्यंत ही निंदनीय है अपितु राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान भी है। उन्होंने कहा कि शायद असम पुलिस आदिवासियों को भारत का नागरिक भी नहीं मानती है। आज की पुलिस बर्बता 24 नवंबर 2007 की बेलतोला कांड की याद की पुनरावृत्ति की याद दिलाता है। जब आदिवासी महिला लक्ष्मी उरांव को नंगा करके घुमाया गया था। पुलिस कार्रवाई में अनेक लोगों की हत्या की गई थी। सालखन मुर्मू ने किंतु गुवाहाटी के कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर की प्रशंसा की और मंच से उनके मदद को सराहा भी।
सालखन मुर्मू ने अपने भाषण में कहा कि सेंगेल अभियान अर्थात सशक्तिकरण अभियान विगत 25 वर्षों से चालू है और झारखंड, बंगाल, बिहार, उड़ीसा और असम के आदिवासियों के बीच में सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण का प्रयास कर रहा है। वर्तमान पांच प्रमुख मांगों पर लगातार आंदोलनमूलक कार्यक्रमों को 5 प्रदेशों में चालू रखा गया है। पांच प्रमुख मांगे हैं : प्रकृति पूजक भारत के आदिवासियों को सरना धर्म कोड के नाम पर धार्मिक मान्यता दी जाए और जनगणना में शामिल किया जाए। असम के झारखंडी आदिवासियों अर्थात संताल मुंडा हो भूमिज उरांव आदि को अविलंब एसटी का दर्जा दिया जाए। संताली भाषा जो भारत देश में बड़ी आदिवासी भाषा है और आठवीं अनुसूची में भी शामिल है, को झारखंड में प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए और बाकी राज्यों में इसको यथासंभव सहयोग प्रदान किया जाए। आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में अविलंब जनतंत्र और संविधान को लागू किया जाए। अवश्यक समाज सुधार हो। बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर बने झारखंड प्रदेश , जो वस्तुतः आदिवासी प्रदेश है, को अबुआ दिसुम अबुआ राज के रूप में पुनर्स्थापित किया जाए। ताकि बिरसा मुंडा और सिदो मुर्मू जैसे महान शहीदों का सपना सच हो। इसके लिए भारत के संविधान और कानून को लागू करना काफी है।

सभा में सालखन मुर्मू के अलावा मंच संचालन सेंगेल के केंद्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू ने किया। साथ ही असम सेंगेल के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सोहन हेमब्रम, बिहार सेंगेल के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू, केंद्रीय संयोजक लखीनारायण किस्कू, झारखंड सेंगेल प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू, केंद्रीय संयोजक बुड्ढन मार्डी (उड़ीसा), झारखंड आन्दोलनकारी विदेशी महतो (कुशवाहा) बोकारो, बंगाल प्रदेश अध्यक्ष पानमोनी बेसरा, पुरुलिया ज़ोनल हेड गणेश चंद्र मुर्मू, बारीपादा (उड़ीसा) ज़ोनल हेड नारन मुर्मू, केंद्रीय संयोजक सोनाराम सोरेन, असम प्रदेश अध्यक्ष पांडु मुर्मू, मालदा ज़ोनल हेड मोहन हँसदा एवम् भुबनेश्वर ज़ोनल हेड रविनारायण सोरेन ने अपनी बातों को रखा। सभा के प्रारंभ और अंत मे एकता प्रार्थना किया गया। सभा ऐतिहासिक सफल था।

सालखन मुर्मू 5 नवंबर को असम के राज्यपाल से संध्या 4 बजे मुलाकात करेंगे। उम्मीद है असम के मुख्यमंत्री से भी प्रतिनिधि मिल सकेंगे।

सालखन मुर्मू ने मीडिया को यह भी बताया कि फिलवक्त भारत के प्रधानमंत्री ने आदिवासी सेंगेल अभियान की मांगों पर गौर किया है, संज्ञान लिया है और भारत के गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का संदेश भेजा है।सालखन मुर्मू ने मीडिया को आगे बताया कि आदिवासी सेंगेल अभियान को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है। आदिवासियों को जरूर लंबा इंतजार करना पड़ा है मगर अभी उनके आशा, आकांक्षाओं के पूर्ण होने की पूरी संभावना है।

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