कुर्मी को एसटी में शामिल करने की सिफारिश करने वाले आदिवासी विधायकों का पुतला जलाएगा सेंगेल
डीजे न्यूज, रांची :कुर्मी जाति या किसी भी अन्य बड़ी जाति समूह को वोट के लोभ- लालच और राजनीतिक फायदे के लिए एसटी सूची में शामिल करने या कराने का कोई भी प्रयास असली आदिवासियों को फांसी के फंदे में लटकाने के समान है। झारखंड, बंगाल और ओडिशा की सत्ताधारी दल क्रमशः झामुमो, टीएमसी और बीजेडी ने कुर्मी को एसटी बनाने की अनुशंसा कर आदिवासी विरोधी षड्यंत्र को अंजाम दिया है। आदिवासी सेंगेल अभियान इसकी कड़ी निंदा करता है। आदिवासी सेंगेल अभियान ने अपनी रेगुलर वर्चुअल मीटिंग में फैसला लिया है कि इन तीनों पार्टियों तथा कुर्मी को सहयोग करनेवाले सभी आदिवासी एमएलए / एमपी को बेनकाब करने के लिए 30 अक्टूबर को 5 प्रदेशों में इनका पुतला दहन किया जाएगा। यह जानकारी आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने दी है।
सालखन मुर्मू ने बताया कि सेंगेल का दूसरा आरोप है इन तीन सत्ताधारी दलों ने आदिवासी समाज में व्याप्त नशापान,अंधविश्वास, डायन प्रथा, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता को रोकने और ट्राइबल सेल्फ रुल सिस्टम में सुधार लाकर जनतंत्र और संविधान लागू करने का कोई भी काम अब तक नहीं कर आदिवासी समाज को विनाश की तरफ धकेलने का कार्य किया है। भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों के सरना धर्म कोड मान्यता आंदोलन को मंजिल पाने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का आशीर्वाद जरूरी है। सेंगेल को दोनों पर भरोसा है। सरना धर्म कोड हेतु कई प्रदेशों में धरना-प्रदर्शन, जनसभाओं के बाद अब 4 नवंबर को गुवाहाटी और 25 नवंबर को पटना में धरना प्रदर्शन करने का फैसला हुआ है।
सालखन ने बताया कि फिलहाल प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस मामले पर संज्ञान लेना और बातचीत करने की पहल का सेंगेल स्वागत करता है। सेंगेल 30 नवंबर के रेल- रोड चक्का जाम की घोषणा पर पुनर्विचार को तैयार है, बशर्ते बातचीत जल्द और सकारात्मक हो।
सेंगेल की मान्यता है कि भारत के आदिवासियों को अपनी हासा (भूमि), भाषा, जाति, धर्म, इज्जत, आबादी, रोजगार, चास- वास एवं संवैधानिक अधिकारों और न्याय के लिए सामाजिक- राजनीतिक सूझबूझ और एकजुटता बनाकर चलना जरूरी है। अंधभक्तों की तरह मुद्दाविहीन पार्टियों को गले लगाना छोड़ना होगा और ट्राईबल सेल्फ रूल सिस्टम में सुधार लाकर जनतंत्र और संविधान को समाहित करना भी जरूरी है। सेंगेल झारखंड, बंगाल , बिहार, उड़ीसा और असम के 5 प्रदेशों में आदिवासियों के सामाजिक- राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए कटिबद्ध है, प्रयासरत है। जिसका विरोध वोट के स्वार्थ हेतु जेएमएम,टीएमसी और बीजेडी कर रही है, जो गलत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने के महान ऐतिहासिक फैसले के बाद भारत देश के हम आदिवासियों के जनजीवन में बड़े बदलाव की पूरी गुंजाइश बनती है। सेंगेल को दोनों पर पूरा भरोसा है।