आदिवासी परिवार के सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सालखन की राष्ट्रपति से गुहार

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डीजे न्यूज, घाटशिला : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कहा है कि

आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर अन्याय, अत्याचार और शोषण करते हुए संविधान, कानून, मानव अधिकार के उल्लंघन का एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना- झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला प्रखंड के अंतर्गत असना पंचायत के सीरीसबोनी ग्राम के मुनीराम सोरेन परिवार के साथ हुआ है। इस मामले में अविलंब सुधारात्मक कार्रवाई की गुहार लगाई है।

सालखन ने राष्ट्रपति को बताया कि मुनीराम सोरेन के परिवार पर सिरिसबोनी के ग्राम प्रधान (माझी बाबा) मंगड़ू सोरेन और ढंगाकमल के ग्राम प्रधान ( माझी बाबा) सिंगरई सोरेन और अन्य ग्रामीणों ने क्रुर अमानवीय और आपराधिक घटना को 13 अक्टूबर को अंजाम दिया है। ग्रामीणों ने मुनीराम सोरेन परिवार पर सामाजिक बहिष्कार और 1.05 लाख रूपयों का दंड दिया। मुनीराम के पुत्र बबलू सोरेन जेल में है। मुनीराम परिवार के सामने मानसिक और भौतिक कष्टों का पहाड़ तो टूटा ही, परिवार के दो छोटे बच्चे मुनीराम सोरेन -9 वर्ष और निखिल सोरेन -7 वर्ष की मानसिक पीड़ा और व्यथा दिल को दहला देता है। ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने दोनों बच्चों से बातचीत के लिए गांव के सभी लोगों को मना किया हुआ है। घर से स्कूल निकट है, मगर सामाजिक बहिष्कार के कारण दोनों बच्चों को 2 किलोमीटर रास्ते से घूम कर स्कूल ले जाया जा रहा है। पूरे परिवार को ग्रामीणों के रैयती जमीन से नहीं चलने का दंड दिया गया है। उन्हें केवल सरकारी जमीन पर चलने का आदेश है। गांव में आवस्थित सुनील सोरेन के दुकान से सामान भी नहीं खरीद सकते हैं। किसी से बातचीत और मिल नहीं सकते हैं अन्यथा उनके ऊपर या अन्य पर भी ₹5000 का दंड लगेगा।

मुनीराम सोरेन का बेटा बबलू सोरेन, हत्या के एक संदिग्ध मामले पर 8 माह से जेल में बंद है। बबलू सोरेन की पत्नी पूर्णिमा सोरेन ने मुनीराम सोरेन परिवार के साथ हो रहे जुल्म के खिलाफ 21 अक्टूबर को घाटशिला थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। थानेदार घाटशिला ने कोई रिसीविंग नहीं दिया। 22 अक्टूबर तक जब सालखन मुर्मू के नेतृत्व में टीम ने जांच की।

जांच के क्रम में झाड़बेड़ा में पूर्णिमा सोरेन के पिता श्याम चरण मार्डी और भाई सीदो मर्दी से उनके घर में मुलाकात किए। मुनीराम सोरेन के घर सिरिसबोनी गांव में मुनीराम सोरेन उनकी पत्नी पार्वती सोरेन, दोनों बच्चे, पूर्णिमा सोरेन तथा उनके भाई सिदो मार्डी के साथ बातचीत करने के बाद वहां से घाटशिला के लिए वापस निकले तब तक कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं हुई थी। झाड़बेडा में पूर्णिमा सोरेन उनके माता-पिता के साथ उनके घर में बातचीत के दौरान घाटशिला के एसडीओ सत्यवीर राम के साथ फोन में बातचीत हुई। एसडीओ ने कहा तीन अफसर की कमेटी बनी है। जांच चल रही है। मगर अब तक कोई अफसर गांव जाकर कोई जांच की कार्रवाई नहीं किया था।

सालखन ने बताया कि उनके नेतृत्व में जो जांच टीम बनी थी, उसका निष्कर्ष यह है।

 

मुनीराम सोरेन परिवार के साथ जबरन थोपा गया यह दुर्भाग्यपूर्ण सामाजिक बहिष्कार और रुपया 1.05 लाख का आर्थिक दंड की घटना, भारत देश की संवैधानिक मर्यादा, कानून का राज और मानव अधिकारों को धत्ता बताता है।

 

मुनीराम सोरेन परिवार के साथ मर्यादा के साथ जीने के मूल अधिकार (अनुच्छेद 21) पर हमला है। यह झारखंड सरकार, पूर्वी सिंहभूम जिला पुलिस- प्रशासन की निष्क्रियता के साथ आदिवासी विरोधी मानसिकता का प्रमाण है। ऐसी घटनाएं रोज और सर्वत्र हो रही हैं।

 

आदिवासी परंपरा, प्रथा रूढ़ि आदि के नाम पर जारी संविधान विरोधी, कानून बिरोधी जनतंत्र विरोधी इन कार्रवाइयों को लगाम लगाने की जगह में झामुमो की सरकार और उनकी सहयोगी संगठन- मझी परगना महाल आदि वोट के फायदे में इनको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग करते हुए दिखाई पड़ते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

 

ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम में अविलंब सुधार होना जनहित में और जनतंत्र हित में जरूरी है। ताकि सभी आदिवासी गांव समाज में जनतंत्र और संविधान लागू हो सके। जो आज की तारीख में लागू नहीं है। नतीजा आर्थिक जुर्माना/दंड (डंडोम), सामाजिक वहिष्कार (वरोंन/ बाढ़), डायन प्रताड़ना/ हत्या ( डान पंजा/ सेंदरा) आदिवासी महिला बिरोधी मानसिकता आदि जारी है।

जांच टीम में

सुमित्रा मुर्मू, बिमो मुर्मू, सुरेश चंद्र मुर्मू, टार्जन मार्डी, रायसेन टुडू, बलाय मुर्मू, सोमय मार्डी एवं घनश्याम टुडू शामिल थे।

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