अब गेहूं की तरह सीधे धान रोपने की जरूरत : डॉ विजय पाल

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अब गेहूं की तरह सीधे धान रोपने की जरूरत : डॉ विजय पाल

किसान दिवस पर संबोधी रिट्रीट कौवाबांध में जलवायु परिवर्तन के दौर में कृषि एवं किसानों के सतत विकास विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

डीजे न्यूज, गोविंदपुर, धनबाद : भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान रांची के संयुक्त निदेशक डॉ विजय पाल भडाना ने सोमवार को कहा कि आने वाला समय देश के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के लिए चुनौती पूर्ण है। एक तरफ आबादी लगातार बढ़ रही है और खाद्यान्न की आवश्यकता बढ़ रही है, दूसरी ओर खेती की जमीन लगातार घटती जा रही है। शहरीकरण होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में झारखंड जैसे प्रदेश के किस ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। यहां की खेती मानसून पर निर्भर है। इस चुनौती से निपटने के लिए हमें खेती-बाड़ी के तौर तरीके को बदलने की जरूरत है। वह किसान दिवस पर सोमवार को संबोधी रिट्रीट कौवाबांध में जलवायु परिवर्तन के दौर में कृषि एवं किसानों के सतत विकास विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि झारखंड में जलवायु परिवर्तन के दौर में झारखंड जैसे राज्य में खेती के तौर तरीके बदलने होंगे। कम पानी में पैदावार के लिए गेहूं की तरह धान की फसल को सीधे लगाना होगा। वर्तमान में पहले धान के बिचड़े तैयार किया जा रहे हैं, फिर धान की रोपनी होती है। इसमें पानी ज्यादा लग रहा है। इस तरीके को बदलकर अब गेहूं की तरह सीधे धान रोपने की जरूरत है। केवीके संत कबीर नगर यूपी के प्रमुख डॉ अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि कृषि उत्पादन लागत को कम करना होगा। तकनीकी प्रयोग से वर्तमान उत्पादन को आगामी वर्षों में चार गुणा करना होगा। वैज्ञानिकों को अत्यधिक उत्पादन वाली प्रजातियां तथा उत्पादन तकनीक विकसित करनी होगी। किसानों को प्रगतिशील बनाना होगा। अबू धाबी विश्वविद्यालय के मो जावेद ने कहा कि गन्ना उत्पादन को बढ़ाकर चीनी और इथेनॉल की पैदावार बढ़ानी होगी। इथेनॉल, जो पेट्रोल डीजल में मिलाया जाता है , के उत्पादन से हम महंगाई को कम कर सकते हैं। इस अवसर पर किसान दिवस भी मनाया गया। मौके पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा आदि क्षेत्रों के करीब 100 किसानों को मिट्टी जांच मशीन दी गई और मिट्टी जांच करने का प्रशिक्षण भी दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक चावल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर ब्रजेंद्र ने देश-विदेश से आए कृषि वैज्ञानिकों का स्वागत किया। इस अवसर पर रांची के अतिरिक्त आयकर आयुक्त अजय कुमार सिंह, लोकसभा के संयुक्त सचिव जितेंद्र परमार, प्रगतिशील किसान एन लेंका, सतीश कुमार, प्रो दिनेश रजक, गजेंद्र परमार आदि ने भी अपने विचार रखें तथा देश की खपत के अनुरूप खेती का पैदावार बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि समय के साथ चलकर पैदावार नहीं बढाया गया तो आने वाले समय में अनाज के लिए हमें दूसरे देशों पर आश्रित होना पड़ेगा। इस संगोष्ठी का समापन मंगलवार को वेबीनार के साथ होगा।

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