गिरिडीह में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनी गुरू गोबिंद सिंह जी की 358वीं जयंती
गिरिडीह में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनी गुरू गोबिंद सिंह जी की 358वीं जयंती
मंत्री सुदिव्य कुमार ने सपरिवार टेका माथा
डीजे न्यूज, गिरिडीह : गिरिडीह में सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी का 358वां प्रकाश पर्व बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। स्टेशन रोड स्थित गुरुद्वारा गुरू सिंह सभा को फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से आकर्षक रूप से सजाया गया।
इस पावन अवसर पर विशेष दीवान का आयोजन किया गया, जिसमें देहरादून के रागी जत्था भाई हरप्रीत सिंह और उनकी टीम ने शबद-कीर्तन प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति “वाह वाह गोबिंद सिंघ आपे गुरू चेला” और “देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं टरूं” जैसे शबदों ने संगत को भाव-विभोर कर दिया।
गुरुद्वारा के प्रधान डॉ. गुणवंत सिंह मोंगिया और सचिव सम्मी सलूजा ने बताया कि इस पर्व के लिए 4 जनवरी को अखंड पाठ आरंभ हुआ था, जिसका समापन प्रकाश पर्व पर किया गया। 31 दिसंबर से 5 जनवरी तक पांच प्रभात फेरियां भी निकाली गईं।
डॉ. मोंगिया ने गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे केवल एक धार्मिक गुरु नहीं, बल्कि निडर योद्धा, कुशल कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने सिख धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और खालसा पंथ की स्थापना की।
लंगर की व्यवस्था मंत्री सुदिव्य सोनू द्वारा
गुरुद्वारे में लंगर की संपूर्ण सेवा झारखंड सरकार के मंत्री और गिरिडीह सदर विधायक सुदिव्य सोनू के द्वारा की गई थी। मंत्री की धर्मपत्नी श्वेता शर्मा ने अपनी पुत्री के साथ गुरुद्वारे में मत्था टेका और गुरु महाराज का आशीर्वाद लिया।
मंत्री सुदिव्य सोनू कुछ आवश्यक कार्यों में व्यस्त होने के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके। हालांकि, लंगर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम में बीजेपी नेता विनय सिंह, डॉ. अमरजीत सिंह सलूजा, चरणजीत सिंह सलूजा, राजेंद्र सिंह, गुरविंदर सिंह, सतविंदर सिंह सलूजा, अजींदर सिंह चावला सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
संगत को मिला शांति और सेवा का संदेश
गुरुद्वारे में हुए इस आयोजन ने संगत को एकता, शांति और सेवा का संदेश दिया। भाई हरप्रीत सिंह ने जात-पात से ऊपर उठकर सभी को एक सूत्र में बांधने की बात कही।
गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर हुए इस आयोजन ने सभी को प्रेरणा और सिख धर्म की गौरवशाली परंपरा का अनुभव कराया।