भाजपा के भीष्म पितामह थे जगदीश प्रसाद कुशवाहा

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भाजपा के भीष्म पितामह थे जगदीश प्रसाद कुशवाहा 

कोडरमा और गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में जनसंघ से लेकर भाजपा को स्थापित करने में निभाई थी बड़ी भूमिका 

डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा की पूण्यतिथि पर विशेष

सुधीर सिन्हा, गिरिडीह : कोडरमा और गिरिडीह जिले में डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा ने अपने समाज को राजनीतिक पहचान दिलाने का काम किया था। आज भी कुशवाहा समाज के लोग उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत मानते हैं। वे जाति नहीं बल्कि जमात के नेता थे। वे दलितों, गरीबों ,शोषित और पीड़ितों के लिए जीवन पर्यन्त संघर्षरत रहे। वे जीवन पर्यन्त राजनीति के साथ-साथ समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभाते रहे। उनके ही प्रयास से उनके भाई रीतलाल प्रसाद वर्मा 6 बार सांसद निर्वाचित हुए थे। समाज में व्याप्त संकीर्णता की समाप्ति, पिछड़ों तथा उपेक्षितों का चतुर्दिक विकास, शोषण एवं विषमता की अंतहीन भावना की जगह मनोभूमि का निर्माण, शिक्षा का विस्तार व सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय के लिए स्वर्गीय जगदीश प्रसाद कुशवाहा जीवन पर्यन्त संघर्षरत रहे। डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा अतिथि सत्कार में माहिर थे, उनकी अतिथि सेवा को भुलाया नहीं जा सकता, इनके जीवन काल में कोई दरवाजे से भूखे या चाय पिए वगैर वापस लौट गया वह असंभव है ।उनके द्वारा किए गए अतिथि सत्कार की चर्चा आज भी लोगों की जुबान पर है। डॉ कुशवाहा की पुण्यतिथि समारोह के दौरान भंडारा का भी आयोजन किया जाता है। 27 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

कोडरमा व गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा भाजपा के भीष्म पितामह के रूप में जाने जाते थे। डॉ जगदीश कुशवाहा ने जनसंघ लेकर भाजपा को इस क्षेत्र में स्थापित किया था। जनसंघ, आरएसएस एवं भाजपा के वह प्रचारक थे। वे वर्ष 1992 से 1996 तक लगातार दो बार भाजपा के गिरिडीह जिलाध्यक्ष भी रहे। डॉ कुशवाहा के नेतृत्व में ही भाजपा ने गिरिडीह जिले में सबसे ज्यादा सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। इनके जिलाध्यक्ष कार्यकाल के दौरान ही वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में गांडेय से लक्ष्मण स्वर्णकार ,गिरिडीह से चन्द्रमोहन प्रसाद, जमुआ से सुकर रविदास विधायक बने । जबकि वर्ष 1996 में कोडरमा संसदीय क्षेत्र से सांसद के रूप में रीतलाल प्रसाद वर्मा निर्वाचित हुए। इन्होने भाजपा की मजबूत नींव रखी तथा भाजपा का झण्डा बुलन्द किया। डॉ जगदीश प्रसाद कुशवाहा ने कई ऐसे कार्यकर्ताओं को राजनीति के गुर सिखाए जो आज भी राजनीति के बुलंदियों पर हैं। डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा भंडारो में उच्च विद्यालय एवं महाविद्यालय की स्थापना कराकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अलख जगाने का कार्य किया। भंडारो में कृषि महाविद्यालय, स्नातक कॉलेज,बीएड कॉलेज का उनका प्रयास अधूरा रह गया। डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा का जन्म 13 अगस्त 1925 को एक किसान परिवार भातू महतो कुशवाहा के घर हुआ था। डॉ कुशवाहा का जीवन संघर्ष से भरा रहा । 12 वर्ष की अवस्था में डॉक्टर कुशवाहा ने सातवी बोर्ड उतीर्ण किया। घर की माली हालत को देखते हुए आयुर्वेदिक चिकित्सा की पढ़ाई प्रारंभ की। बैधराज गणेश पाण्डेय से शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत घर मे ही चिकित्सा प्रारंभ की। कठिन मेहनत और लगन से अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति की भी अच्छी जानकारी हासिल की । जिले में वह एक सिद्धहस्त चिकित्सक के रूप में विख्यात हुए। चिकित्सा के क्षेत्र में परचम फहराने के उपरांत सामाजिक, राजनीतिक और सामाजिक कुरीतियों और शैक्षणिक जीवन मे उन्होंने सराहनीय कार्य किए । बाल विवाह, तलाक, दहेज आदि सामाजिक कुरीतियों का जमकर विरोध कर समाज में नवचेतना भरने का काम किया। पांच भाइयों में सबसे बड़े भाई डॉक्टर कुशवाहा ने अपने अनुज रीतलाल प्रसाद वर्मा को एमए, एलएलबी तक की शिक्षा दिलाकर राजनीतिक क्षेत्र में उतारा। रीतलाल वर्मा एक बार विधायक तथा 5 पांच बार सांसद बनाकर गिरिडीह जिला के राजनीतिक इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। डॉ कुशवाहा ने 5 भाइयों एवं 1 भगिना के परिवार को एक सूत्र में बांधे रखा जो पूरे जिले में संयुक्त परिवार का अनुकरणीय उदाहरण है ।

डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा के नाम पर भंडारो में जगदीश प्रसाद कुशवाहा इंटरमीडिएट कॉलेज ऑफ कम्पिटेन्स है। उक्त कॉलेज को झारखंड सरकार की स्थाई प्रस्वीकृति प्राप्त है । जगदीश प्रसाद कुशवाहा कॉलेज ऑफ कम्पिटेन्स भंडारो गांव के उत्तर में सुंदर प्राकृतिक छटा में शांतिवन के समान अवस्थित है। महाविद्यालय चारों ओर से हरे-भरे वृक्षों से लगभग 7.14 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। महाविद्यालय के दक्षिण में भातू महतो कुशवाहा विद्यालय अवस्थित है। पश्चिम में नीम की लकड़ी से निर्मित मां दुर्गा की प्रतिमा मंदिर में सुशोभित है । पूर्वी भाग में महाविद्यालय का विशाल परिसर फैला हुआ है जिसमें खेलकूद का मैदान बना है। महाविद्यालय के मुख्य भवन के सामने दो महान विभूतियों की, जिन्होंने महाविद्यालय की स्थापना की डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा एवं रीतलाल वर्मा की समाधी स्थापित है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में अवस्थित महाविद्यालय गरीबों के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा को बेहतर करने के रूप में विराजमान है । महाविद्यालय में सुसज्जित पुस्तकालय ,कंप्यूटर कक्षा, विज्ञान प्रायोगिक लिए बड़ी प्रयोगशालाएँ तथा छात्राओं के लिए अलग कामन रुम एवं शौचालय भी उपलब्ध है ।

 

27 जनवरी 1999 को हुआ था निधन

 

डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा जमुआ प्रखंड के प्रमुख भी थे। उन्होंने अंतिम बार 26 जनवरी 1999 को जमुआ प्रखंड प्रमुख के नाते प्रखंड मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराए और 27 जनवरी 1999 को सवेरा देखे बिना हमेशा के लिए जुदा हो गए।

 

रीतलाल वर्मा के पथ प्रदर्शक संरक्षक रहे

 

कोडरमा के पूर्व सांसद रीतलाल प्रसाद वर्मा ने अंततः झारखंड नामक पुस्तक में एक लेखक के रूप में उल्लेख किया है, कि मेरे बड़े भाई स्वर्गीय डॉक्टर जगदीश प्रसाद कुशवाहा को यह पुस्तक समर्पित जो मेरे पथ , संरक्षक व आदर्श रहे हैं। मेरे राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव में उनका ही अहर्निश दिशा निर्देश रहा है।

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