लंगटा बाबा की समाधि पर चादरपोशी के लिए उमड़ा जनसलाब
सुधीर सिन्हा, गिरिडीह : लंगटा बाबा समाधि पर्व के मौके पर खरगडीहा में शुक्रवार को भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह चार बजे से ही समाधि स्थल पर चादर चढ़ाने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह देर रात तक जारी रहा। भीड़ इतनी थी कि चादरपोशी के लिए भक्तों की लंबी कतार लग गयी। घंटों कतार में खड़े रहकर लोगों ने लंगेश्वरी बाबा के समक्ष शीश झुकाया और मन्नतें मांगीं। सुबह आठ बजे के बाद बाबा के भक्तों की संख्या इतनी बढ़ गयी कि करीब दो किमी तक यहां जमुआ-देवघर मुख्य मार्ग पूरी तरह जाम हो गया।
मंदिर परिसर एवं मेले में पहुंची भारी भीड़ पर नियंत्रण के लिए प्रशासन को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। थाना प्रभारी पप्पू कुमार के नेतृत्व में पुलिस के जवान विधि-व्यवस्था बनाए रखने में जुटे रहे।
पॉकेटमारों की चांदी : समाधि पर्व पर यहां पूजा-अर्चना को पहुंचे कई भक्तों की जेब भी कटी। दर्जनाधिक लोगों के पर्स उड़ा लिए गए। मेले में विभिन्न स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरे के बावजूद पॉकेटमारों ने हाथ साफ कर लिया। दर्जनभर मोबाइल भी भीड़ के कारण गुम हो गया।
मजहबी आस्था का केन्द्र है खरगडीहा। पौष पूर्णिमा के मौके पर विख्यात लंगटा बाबा के यहां स्थित समाधि स्थल पर चादरपोशी करने के लिए उमड़े हजारों हिन्दू-मुस्लिम धर्मावलंबियों के हुजूम से यह बात स्वत: सिद्ध होती है। झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा अलग-अलग प्रदेशों से भी बाबा के भक्तों ने हाजिरी देते हुए समाधि पर चादरपोशी की और मन्नतें मांगीं। हरेक को बाबा की महत्ता का गुणगान करते सुना गया। दया की प्रतिभूर्ति थे लंगटा बाबा। यही वजह है कि बाबा के अनन्य भक्त मिर्जागंज निवासी मोहन साव के सौजन्य से यहां के मेले में अलग-अलग जगहों पर टी-स्टाल की व्यवस्था की गयी।
पौष पूर्णिमा के मौके पर शुक्र्वार को मिर्जागंज स्थित जलीय सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से शाम तक लगी रही। भक्तों ने बारी-बारी से मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना कर भगवान भास्कर से निरोग होने की मन्नतें मांगीं। खरगडीहा स्थित लंगटा बाबा की समाधि पर चादरपोशी करने वाले श्रद्धालुओं ने यहां आकर भगवान भास्कर के समक्ष भी माथा टेका। यहां भी दिनभर मेले जैसा माहौल रहा। समाधि स्थल और मंदिर में दर्जनों की संख्या में पधारे साधु, संत एवं साधकों से धार्मिक आस्था का माहौल जीवंत हो उठा।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखकर प्रशासन की ओर से सुरक्षा का पुख्ता व्यवस्था की गई है। खोरीमहुआ एसडीएम धीरेंद्र कुमार सिंह और एसडीपीओ मुकेश कुमार महतो की देखरेख में पदाधिकारियों और पुलिस बलों की तैनाती की गई। बताया जाता हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के समय ही साधु-संतों के साथ देवघर जा रहे लंगेश्वरी बाबा खरगडीहा स्थित उस वक्त के थाना परिसर में रुके थे। इसी थाना परिसर को उन्होंने अपना आशियाना बनाया था। तत्कालीन थानेदार वहाबुद्दीन ने लंगेश्वरी बाबा को थाना छोड़कर जाने को कहा था, जिसपर बाबा ने यह कहा था कि तू ही चला जायेगा। कहा जाता है कि इस कथन के बाद खरगडीहा से उठकर थाना जमुआ आ गया। इसी थाना परिसर में पौष पूर्णिमा के दिन साल 1910 को बाबा ब्रह्मलीन हो गए थे और यहां बाबा की समाधि बनाई गई थी।बताया जाता है कि बाबा के अंदर चमत्कारी गुण थे। मनुष्य के अलावा पशुओं और पक्षियों से उन्हें काफी प्रेम था। उनके पास आनेवाले लोग दुखों से मुक्त हो जाते थे। रोगों को भी हरने की शक्ति उनके अंदर थी। यही वजह है कि यहां पर प्रतिदिन हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई भी पहुंचते हैं और माथा टेकते हैं। पौष पूर्णिमा के दिन यहां पर भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ता है। देश के विभिन्न राज्यों से भक्त यहां पहुंचते हैं। पूर्णिमा के अवसर पर हर साल की तरह इस साल भी लंगटा बाबा समाधिस्थल पर चादर पोसी करने वाले श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा।शुक्रवार को रांची के डी आई जी दीपक कुमार सिन्हा,खोरीमहुआ एस डी एम( एस डी ओ) धीरेन्द्र कुमार सिंह,एस डी पी ओ मुकेश महतो ,जमुआ थाना प्रभारी पप्पू कुमार ,सी ओ द्वारिका बैठा ,प्रमुख मिष्ठु देवी, सहित दर्जनों जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी सहित कई वीआईपी खरगडीहा पहुँच कर चादर पोसी कर अमन चैन की मन्नतें मांगें।निरन्तर भक्तों की ओर से चादर चढ़ाने का सिलसिला जारी रहा। लोग कतारबद्ध होकर पूजा अर्चना करते देखे गये।जानकारी के मुताबिक कोरोना के चलते पिछले कई वर्षों से मेले में भीड़ नही लगने दिया जाता था, लेकिन इस बार बड़ी संख्या में सर्द्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा,भीड़ को नियंत्रण करने में स्थानीय पदाधिकारियों को काफी मशक्कत करना पड़ा।
श्रद्धालु को चादर पोशी में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसके लिए काफी संख्या में महिला और पुरुष पुलिस बल को लगाया गया है । खोरीमहुआ एसडीएम धीरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि मेला परिसर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में है।वहीँ मेला परिसर में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहाँ से मेला परिसर पर प्रशासन का पोनी नज़र है। मेले में पॉकेटमारों एवं मनचलों पर पुलिस की कड़ी नजर थी।